शिवम मिश्रा, रायपुर। राज्यपाल अनुसुइया उइके और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से सिलगेर आंदोलन के संबंध में जनसंगठनों के एक प्रतिनिधि मंडल ने आज मुलाकात की. राज्यपाल उइके और मुख्यमंत्री बघेल के साथ प्रतिनिधि मंडल ने इस आंदोलन से जुडे़ विभिन्न विषयों पर चर्चा की.

मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधि मंडल को बताया कि सिलगेर घटना की दण्डाधिकारी जांच की जा रही है. उन्होंने कहा कि क्षेत्र के लोगों की विकास से जुड़ी जरूरतों को पूरा करने के लिये राज्य सरकार तत्पर है, उन्होंने जनसंगठनों से आगे आकर राज्य सरकार के साथ विकास के काम में सहयोग करने की अपील की.

प्रतिनिधि मंडल ने यह मांग रखी कि सिलगेर गांव का एक प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री बघेल से मिलना चाहता है. मुख्यमंत्री ने उनकी इस मांग पर सहमति व्यक्त की.

प्रतिनिधि मंडल में मानवाधिकार कार्यकर्ता बेला भाटिया, छत्तीसगढ़ बचाव आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला, छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और ट्रेड यूनियन संगठन एक्टू के महासचिव बिजेन्द्र तिवारी शामिल थे.  इस अवसर पर मुख्यमंत्री के सलाहकार रूचिर गर्ग, अपर मुख्य सचिव गृह सुब्रत साहू, विशेष पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा उपस्थित थे.

निष्पक्ष जांच के बाद कार्रवाई की मांग

आलोक शुक्ला ने बताया कि हम लोग पिछले दिनों असरीगढ़ जा रहे थे. लेकिन नहीं जाने दिया गया. बीजापुर की सीमा पर हमें रोका गया था और जो प्रशासन का रवैया था वह बहुत ही गैर लोकतांत्रिक था. आज हम लोग उन सारे मुद्दों को, बस्तर के मुद्दों को लेकर पहले मुख्यमंत्री से मुलाकात की. उसके बाद राज्यपाल से मुलाकात हुई. हमने कहा है कि सबसे पहले तो सिलगेर का आंदोलन है उसका एक हल निकालना चाहिए, क्योंकि कोविड का संकट है, बारिश का समय है, अपने-अपने घरों में वे वापस जाएं. सरकार को पहल करनी चाहिए और निश्चित तौर पर सारे मुद्दों पर बातचीत के साथ यह एक सुझाव आया था.

हम लोगों ने कहा कि सिलगेर के प्रभावित ग्रामीणों से बातचीत करनी चाहिए. मुख्यमंत्री ने भी इसमें सहमति दी है. राज्यपाल ने भी सहमति दी है कि निश्चित तौर पर सिलगेर के ग्रामीणों का एक प्रतिनिधिमंडल आएगा तो हम उनसे बातचीत करेंगे. मुख्यमंत्री ने कहा था कि कार्रवाई है, उसका भी जिक्र किया जाए. मामले की जांच निष्पक्ष होनी चाहिए. पूरे घटनाक्रम की रिपोर्ट के बाद कार्रवाई की जाए, ताकि लोगों के मन में विश्वास पैदा हो वह बहुत महत्वपूर्ण है.

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