रायपुर। शिक्षा के अधिकार अधिनियम का प्रदेश में बुरा हाल है. अब ग़रीब छात्र और उनके परिजन हताश नजर आ रहे हैं.  उनका कहना है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम से भरोसा उठने लग गया है. हालात इतना बिगड़ गए हैं कि निर्धारित सीट के अंतिम तिथि तक 50% आवेदन नहीं आए थे, चिंताजनक स्थिति को देखते हुए विभाग ने आगामी आदेश तक पंजीयन ओपन किया. अब आवेदन 64 हज़ार हुए हैं. प्रदेश में लगभग 84 हजार सीट है. भले ही प्रदेश में साल दर साल शिक्षा के अधिकार के तहत सीट में वृद्धि हो रही है, लेकिन सीटों में भर्ती का दर नीचे गिरता जा रहा है, जो योजना की नाकामी की ओर इशारा कर रहा है.

गरीब बच्चों को कब मिलेगा ‘शिक्षा’ का अधिकार

पैरेंट्स एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल ने इस मामले को लेकर कहा कि प्रदेश में हालात चिंताजनक है. समय रहते संज्ञान नहीं लिया गया तो प्रदेश के तीन लाख ग़रीब बच्चों का भविष्य तबाह हो जाएगा. योजना का उद्देश्य है कि गरीबों को समानता मिलाकर शिक्षा देना, लेकिन विभाग इन बच्चों के साथ दोहरा रवैया अपनाकर भगवान भरोसे छोड़ दिया है.

हज़ारों विद्यार्थी हर साल शिक्षा से वंचित हो रहे हैं, लेकिन विभाग के पास इसकी कोई जानकारी नहीं है. कोरोना काल के 2 साल से शिक्षा के अधिकार के तहत पढ़ रहे बच्चे शिक्षा से लगभग वंचित हैं, लेकिन इसे देखने वाला कोई नहीं है. ऐसे में सिर्फ़ योजना के नाम पर करोड़ों रुपया का बंदरबांट हो रहा है.

ग़ौरतलब है कि शिक्षा का नया सत्र 2020-21, 16 जून से प्रारंभ है. एक महीने बाद भी अब तक शिक्षा के अधिकार के तहत बच्चे अपनी पढ़ाई का इंतज़ार कर रहे हैं. साथ ही नए सत्र में अभी आवेदन का प्रक्रिया जारी है. आवेदन करने के लिए 22 अप्रैल का अंतिम तिथि था, लेकिन चिंताजनक आवेदन मिलने पर विभाग ने आगामी आदेश तक अंतिम तिथि को बढ़ाया है. आज की स्थिति में देखें तो 29 ज़िलों के 6 हजार 625 स्कूलों में 83,688 सीट हैं, जिसमें से 64,883 कुल आवेदन हुए हैं.

अभिभवाकों ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया अभी जारी है. ऐसे में प्रक्रिया को पुरा करने में एक माह लग सकता है. अब सवाल ये उठता है कि जो गरीब बच्चे पढ़ाई दो से तीन माह पिछड़ रहे हैं. इसके लिए जिम्मेदार कौन है? गरीब पालकों का भरोसा कम क्यो हो रहा है ? विभाग भर्ती कराकर क्यों पल्ला झाड़ लेता है ? शिक्षा के अधिकार के तहत पढ़ रहे हजारों विद्यार्थी शिक्षा से वंचित क्यों हो रहे हैं ? निजी स्कूल में प्रवेश कराने के बाद स्थिति को लेकर समीक्षा क्यों नही होती है ?

शिक्षा विभाग ने अपने पोर्टल में किया है ये अपलोड 

  • RTE 12 (1)(c) योजना भारतीय संसद द्वारा 4 अगस्त 2009 को पारित किया गया.
  • 1 अप्रैल 2010 से प्रभावी हुआ। छत्तीसगढ़ मे RTE 12 (1)(c) योजना का लाभ सत्र 2010-11 से दिया जा रहा है.
  • पूर्व मे अधिनियम का लाभ कक्षा – आठवीं तक ही दिया जाता था, लेकिन अब इसमे (छ. ग. राज्य स्तर पर) संसोधन कर सत्र 2019 में इसकी मान्यता बढ़ाकर क्लास – बारहवीं तक कर दी गई है.
  • आरटीई 12(1)(सी) के अंतर्गत सभी गैर – अनुदान प्राप्त और गैर – अल्पसंख्यक प्राइवेट स्कूलों के प्रारंभिक कक्षाओं में 25% सीट दुर्बल और असुविधाग्रस्त परिवार के बच्चों के लिए आरक्षित होता है.
  • इस अधिनियम के तहत 3 से 6½ वर्ष तक के बच्चे किसी भी प्राइवेट स्कूल के प्रारंभिक कक्षा मे प्रवेश ले सकते हैं.
  • इस योजना से प्रवेशित छात्र कक्षा 12वी तक नि:शुल्क चयनित स्कूल में अध्ययन कर सकते हैं.
  • अब तक छत्तीसगढ़ मे लगभग 2.9 लाख छात्र इस योजना का लाभ ले रहे हैं, क्योकि इस योजना का लाभ जरूरतमंद और पात्र छात्रों को नर्सरी से क्लास – बारहवीं तक नि:शुल्क शिक्षा दिया जाता है.
  • इसका मुख्य उदेश्य समाज मे सभी वर्ग के लोगो के मध्य सामाजिक समावेशन अर्थात सामाजिक समानता लाना, और सभी समूहों को मूल्यवान और महत्वपूर्ण महसूस करना है, ताकि विभिन्न प्रकार से किए जाने वाले भेदभव को हटाया जा सके.
देखिए वीडियो-

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