बिलासपुर। आरक्षण मामले में हाईकोर्ट के फ़ैसले पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने कहा कि आरक्षण पर बीजेपी की स्पष्ट सोच और मान्यता रही है. आरक्षण पर बीजेपी की स्पष्ट सोच और मान्यता रही है. जब तक हमारी सरकार रही हम अपने फ़ैसले पर क़ायम रहे. वहीं इसे कांग्रेस ने रमन सरकार की लापरवाही का नतीजा बताया है.

रमन सिंह ने कहा कि वर्तमान सरकार ने इस पर अपना पक्ष मज़बूती से नहीं रखा. सरकार की कमजोरी दिख रही है. कोर्ट का फ़ैसला आ चुका है. राज्य सरकार को फ़ैसला लेना है कि इस लड़ाई को कैसे लड़े.

कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि पूर्ववर्ती रमन सरकार की लापरवाही के कारण हाईकोर्ट में 58 फीसद आरक्षण का फैसला रद्द हुआ. यह केस 2012 से चल रहा था 2011 में जब आरक्षण 50 फीसदी से बढ़ाया गया तो उस विशेष परिस्थिति को सिध्द करने की जबाबदारी रमन सरकार की थी.

शुक्ला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी प्रकरण में स्पष्ट आदेश दिया था कि आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक होने पर उस विशेष परिस्थिति को कोर्ट को सरकार बताएगी. रमन सरकार ने उस दायित्व का निर्वहन नहीं किया

बता दें कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में राज्य में 50% से ज्यादा आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया है. 2012 में तत्कालीन सरकार के 58% आरक्षण को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के डिविजन बैंच ने फैसला सुनाया है.

वर्ष 2012 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने 58% आरक्षण देने का फैसला किया था. इस पर डॉ. पंकज साहू एवं अन्य, अरुण कुमार पाठक एवं अन्य ने अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी, विनय पांडेय एवं अन्य के जरिए हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. 50% से ज्यादा आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश के विरुद्ध और असंवैधानिक करार देते हुए याचिका लगाई थी.

मामलों की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी और जस्टिस पीपी साहू की डिविजन बैंच ने फैसला सुरक्षित कर लिया था. इस पर आज फैसला सुनाते हुए 50% से ज्यादा आरक्षण के प्रावधान को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया है.

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