पुरषोत्तम पात्र, गरियाबंद। शिक्षा विभाग भ्रष्टाचारियों के लिए चारागाह बन गया है. शिक्षा विभाग में कभी व्हाइट बोर्ड तो कभी खेल सामग्री तो कभी नियुक्ति तो कभी तबादला में हुए गड़बड़ियों के चलते सुर्खियों में रहा है. अब शिक्षा विभाग में ज्ञान देने वाली किताबों के नाम बड़ी गड़बड़ी की सारी तैयारी है. साहबों ने इस कदर करप्शन को अंजाम दिया है कि कोई हैरान रह जाए. GK की पुरानी किताब के मुताबिक पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज जिंदा है, इतना ही नहीं रमन सिंह मुख्यमंत्री हैं. ऐसे किताबों से शिक्षा विभाग छात्रों को कैसी शिक्षा देनी की कोशिश कर रहा है. विभाग सवालों के घेरे में है.

दरअसल, देवभोग ब्लॉक के 50 मिडिल स्कूलो में किताबो से भरा एक नीली कलर का पार्सल पहुंचा हुआ है. इसमें जनरल नॉलेज व महापुरुषों की जीवन गाथा पर आधारित 104 किताबें मौजूद हैं. सारी किताबें 3 से 4 साल पुरानी प्रकाशित हैं. मजे की बात तो यह कि स्कूलों में मरम्मत ,फर्नीचर और बैठने की टाटपट्टी जैसे कई आवश्यक चीजों की आवश्यकता है.

जनरल नॉलेज से भरे लाइब्रेरी की कभी मांग नहीं हुई थी. ऐसे में किताबों की पार्सल ने उन 50 मिडिल स्कूलों के प्रधान पाठक को तब चौका दिया, जब उन्हें एनएफटी फार्म और चेक के साथ सितम्बर माह के अंतिम तारीख तक ब्लॉक कार्यालय बुलाया गया है.

नाम न छापने के शर्त पर प्रधान पाठकों ने कहा कि इस लाइब्रेरी के लिए उनके स्कूलों के खाते में 50-50 हजार भी डाल दिए गए हैं. कीमत के अनुकूल किताबों के मूल्य 3 गुना ज्यादा देखकर स्कूलों में इसके भुगतान को लेकर विरोध भी शुरू हो गया है, लेकिन घपले के तार ऊपर तक जुड़े हैं. ऐसे में बेचारे शिक्षकों पर दबाव बनाना भी शुरू कर दिया गया है.

क्रय नियम का पालन नहीं, ऑडिट में फंसेगा पेंच
48 पेज की छोटी किताब का मूल्य 300 है. अधिकतम 900 रुपये मूल्य एमआरपी वाले किताबें खपाई गई हैं. किताब में प्रिटिंग एमआरपी के ऊपर मनचाहे कीमत का स्टिकर चिपकाया गया है. स्कूलों के खाते से सामग्री क्रय करने जनभागीदारी समिति में एक क्रय समिति बनाई गई है.

10 हजार से ऊपर की खरीदी में क्रय एव भंडार नियम का पालन करना होता है. क्रय समिति द्वारा तीन फर्म का कोटेशन बुलाकर ही ख़रीदी तय की जाती है. इस पूरी प्रक्रिया में ख़रीदी नियम और समिति को दरकिनार किया गया है. ऐसे में भुगतान हुआ तो मामला ऑडिट में फंस सकता है.

किस फर्म का भुगतान करना है पहले से तय
इस पूरे पड़ताल में हमें एक सूची हाथ लगी है. सूची के मुताबिक प्रगति पब्लिशिंग हाइस प्राइवेट लिमिटेड और सुराना पब्लिसड को 20-20 स्कूलें और इम्प्रेशन प्रिंटर्स को 10 स्कूलों को भुगतान करना है. स्कूल के नाम के आगे बैंक खाता नम्बर और अमाउंट लिखा गया है. इतना ही नहीं पार्सल के साथ इन तीनों फर्मों के कोटेशन भी भेजे गए हैं. यह तैयारी बताने के लिए काफी है कि यंहा क्रय नियम की खाना पूर्ति दर्शाने खरीदी से पहले कर दी गई है, जबकि किताबो से पहले कोटेशन मंगाया जाता है.

विधायक मौन, DEO जानिए क्या बोले ?
बताया जा रहा है कि यह खरीदी पिछड़ा वर्ग प्राधिकरण मद से क्षेत्रीय विधायक डमरूधर पुजारी की अनुशंसा से हो रही है. विधायक ने इस बात को स्वीकार की, लेकिन गड़बड़ी के सवाल पर उन्होंने चुप्पी साध ली.

मामले का पत्राचार और प्रकिया में हिस्सा लेने वाले शिक्षा विभाग के उपसंचालक अरविंद ध्रुव ने डीईओ से बात करने कह दिया, जब डीईओ करमन खटकर से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि विधायक के अनुशंसा पर लाइब्रेरी के लिए किताबें खरीदी हुई है. सारी प्रक्रिया की जानकारी कलेक्टर को भी है, सब कुछ सही किया जा रहा है.

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