रायपुर. जीएसटी सर्वे के दौरान व्यापारी अपने सीए या एकाउंटेंट को बुला सकेंगे। इसकी सहमति स्टेट जीएसटी कमिश्नर ने मंगलवार को व्यापारी नेताओं के साथ बैठक में दी है। बताया गया कि छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के प्रदेश अध्यक्ष सतीश थौरानी के नेतृत्व में चेंबर प्रतिनिधिमंडल ने जीएसटी आयुक्त पुष्पेन्द्र कुमार मीणा से मुलाकात की। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य व्यापारियों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से संबंधित विभिन्न समस्याओं से अवगत कराना था।

प्रतिनिधिमंडल ने जीएसटी के तहत व्यापारियों को आ रही परेशानियों को विस्तार से आयुक्त के समक्ष रखा। इन समस्याओं में जीएसटी रिटर्न फाइलिंग की जटिलताएं, रिफंड मिलने में देरी, और अधिकारियों द्वारा जांच से जुड़ी दिक्कतें शामिल थे। बैठक में चैम्बर संरक्षक श्रीचन्द सुन्दरानी ने कहा कि किसी अधिकारी ने व्यापारी के साथ गलत कार्रवाई की तो उस पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। अगर व्यापारी से कोई गलती हो गई तब उन पर तत्काल कार्यवाही कर दंडित किया जाता है। आज व्यापारी जीएसटी को दहशत के रूप में देख रहा है, व्यापारी जीएसटी के नाम से सहम जाता है। फिर भी वर्तमान में प्रदेश के व्यापारियों से जीएसटी कलेक्शन छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा हो रहा है।

चेम्बर प्रदेश अध्यक्ष सतीश थौरानी ने सुझाव दिया कि व्यापारियों की समस्याओं को सुलझाने के लिए प्रत्येक जिले में हेल्प डेस्क बनाया जाए, जिसे जीएसटी आयुक्त  पुष्पेन्द्र कमार मीणा ने मान्य किया। सीए रवि ग्वालानी ने कहा कि व्यापारियों पर नोटिस की कार्यवाही से जबरदस्ती दबाव नहीं बनना चाहिए। सहजता से सुलझाना चाहिए, व्यापारी कहीं भाग नहीं रहा है।

सीए  योगेश वल्यानी ने कहा कि जीएसटी में कानून तो है पर व्यवस्था नहीं है। चेंबर वाइस चेयरमैन चेतन तारवानी ने कहा कि प्रदेश में पहली बार ऐसे कमिश्नर मिले, जो व्यापारियों की बात सुनते हैं। बैठक में जीएसटी में आ रही समस्याओं को चिन्हांकित कर निराकरण सुझाव दिया गया कि जीएसटी अपील व्यवसायी के पक्ष में हो जाने उपरांत अपील में जमा की गई 10 फीसदी राशि की वापसी नहीं की जा रही है, जो कि न्यायसंगत नहीं है। जीएसटी की धारा 21 के अधीन अधिकारी द्वारा की जाने वाती कार्यवाही उचित है, परंतु व्यवसाय स्थल में जाकर तुरंत मांग राशि को बिना किसी आदेश के रकम जमा करने को बाध्य किया जाता है, वह उचित नहीं है।

प्रतिनिधिमंडल ने यह भी कहा कि अफसर द्वारा किये जाने वाली वसूली कार्यवाही जिसमें वे व्यवसायी के क्रेडिट या कैप्स लेजर के बैलेश से डेबिट कर दिया जाता है वह धारा 78 व 79 के विरुद्ध है एवं आर्टिकल 14 व 19(1)(ळ) संविधान के विरुद्ध भी है।यह भी बताया गया कि संयुक्त आयुक्त अपील के तत्कालीन  अजय देवांगन के समय कुल 65 अपील प्रकरण आज तक लंबित है, जिसमें कोई निर्णय नहीं हुआ है। इस संबंध में उच्च अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है, जिस पर संज्ञान लेना अनिवार्य है।

चैंबर पदाधिकारियों ने यह भी सुझाव दिया गया कि जी एसटी में कम्पोजीशन डीलर पर कर की दर को 0.25ः  किए जाने के लिए जीएसटी काउंसिल को लिखा जाए। इससे पंजीकृत व्यवसायीयों की संख्या में वृद्धि भी होगी। शासन को अधिक राजस्व की प्राप्ति होगी। जीएसटी आयुक्त पुष्पेंद्र मीणा ने प्रतिनिधिमंडल की सभी समस्याओं को ध्यानपूर्वक सुना और इन पर आवश्यक कार्रवाई करने का आश्वासन दिया।

उन्होंने कहा कि आइंदा से कैमरे बंद नहीं करेंगे। मोबाइल नहीं छीना जाएगा और व्यापारी अपने सीए को भी बुला सकते हैं। विभाग व्यापारियों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए सुझावों का स्वागत करता है।बैठक में जीएसटी आयुक्त पुष्पेन्द्र कुमार मीणा,जीएसटी अधिकारी -पी.एस.विंध्यराज, पी.आर.धुर्वे, निलिमा तिग्गा, संयुक्त आयुक्त नरेन्द्र वर्मा, दीपक गिरी, याचना ताम्बरे, सुनील चंधारी, सोनल मिश्रा, भावना अली आदि मुख्य रूप से शामिल थे।

इस अवसर पर चेम्बर प्रदेश अध्यक्ष सतीश थौरानी, संरक्षक श्रीचन्द सुन्दरानी, सलाहकार- अमर गिदवानी, विजय मुकीम, वाइस चेयरमेन-चेतन तारवानी, कार्यकारी अध्यक्ष-राधा किशन सुंदरानी, राजेश वासवानी, जसप्रीत सिंह सलूजा, उपाध्यक्ष- लोकेश चंद्रकांत जैन, कन्हैया गुप्त मंत्री-रितेश वाधवा, धनेश मटलानी, जीएसटी बार एसोसियेशन के पदाधिकारी-अधिवक्ता दयाल राजपाल, सी.ए.योगेश वल्र्यानी, रवि ग्वालानी, ट्रांसपोर्ट चेम्बर प्रदेश अध्यक्ष सरदार हरचरण सिंह साहनी, रायपुर सराफा एोसिएशन के पदाधिकारी उपस्थित रहे।