धर्मेंद्र यादव, निवाड़ी (ओरछा)। शीत ऋतु (शरद ऋतु) के आगमन के साथ ही ओरछाधीश ‘राजा राम’ (Ram Raja Sarkar Orchha Dhish)की दिनचर्या में बदलाव किया गया है। ओरछाधीश सरकार अब सुबह 1 घंटा देर से उठेंगे और रात में एक घंटा जल्दी सोएंगे। 10 अक्टूबर सोमवार से भगवान श्रीराम (Lord Shri Ram) सरकार के दर्शन के समय में भी बदलाव किया गया है। अब श्रीराम राजा सरकार का दरबार सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक और शाम के 7 बजे से रात 9.30 बजे तक श्रद्धालुओं के लिए खुला रहेगा। यहां भक्त अपने भगवान के दर्शन कर सकते हैं।
दरअसल मंदिर में चली आ रही राजश्री परंपरा के अनुसार हर साल गर्मी और बारिश के आठ माह फाल्गुन से कवार के महीने की शरद पूर्णिमा तक श्रीरामराजा सरकार का दरबार सुबह 8 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक खुलता है। दोपहर में राजभोग आरती के बाद भगवान विश्राम करते हैं। इसलिए दोपहर में पट बंद रहते हैं। वहीं शाम को 8 बजे संध्या आरती व रत को 10.30 बजे शयन आरती होती है, जो सोमवार से 7 बजे संध्या आरती व रात 9.30 बजे शयन आरती होगी।
भगवान राम दिन में ओरछा और रात में शयन के लिए अयोध्या चले जाते हैं
कहा जाता है कि श्रीराम के दो निवास खास है। दिनभर ओरछा में रहने के बाद वे शयन के लिए अयोध्या चले जाते हैं। प्रतिदिन रात में ब्यारी (संध्या) की आरती होने के बाद ज्योति निकलती है, जो कीर्तन मंडली के साथ पास ही पाताली हनुमान मंदिर ले जाई जाती है। मान्यता है कि ज्योति के रूप में भगवान श्रीराम को हनुमान मंदिर ले जाया जाता है, जहां से हनुमान जी शयन के लिए भगवान श्रीराम को अयोध्या ले जाते हैं।
शरद ऋतु में जुकाम-खांसी ना हो जाए इसलिए देर से होती है आरती ़
वहीं यहां के विद्वान पंडित श्री राकेश अयाची जी का कहना है कि भगवान राम यहां पर राजा के रूप में विराजमान है शास्त्रों में कहा गया है कि राजा थोड़ा प्रदापि होता है। रामराजा सरकार जब से अयोध्या से ओरछा पधारे हैं तब से यहाँ के राजा बनकर रहते हैं। ऐसा माना जाता है कि सर्दियों में रामराजा सुबह देर में सोकर उठते हैं क्योंकि क्षत्रिय बंस में उनका जन्म हुआ है और क्षत्रिय कुल आबंदंस कहलाते हैं। सुबह उनको शिकार के लिए जाना होता है। उसके बाद स्नान करते हैं। स्नान करने के बाद फिर राज दरबार में आकर विराजमान होते हैं। कुछ लोगों का ऐसा भी मानना है की सर्दियों में भगवान को बहुत कोमल माना गया है उनको जुकाम-खांसी ना हो जाए इस वजह से भी उनकी आरती देरी से की जाती है ।
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