रायपुर. छत्तीसगढ़ के कला जगत में अपने गीतों के माध्यम से एक अलग पहचान बनाने वाले जनकवि लक्ष्मण मस्तुरिया का शनिवार सुबह 11 बजे दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. जनकवि मस्तुरिया के निधन पर छग प्रदेश इलेक्शन कैम्पेन कमेटी के चेयरमेन, पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री डॉ. चरणदास महंत ने गहरा दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि एक बारगी यह अकल्पनीय सा लगा कि वे हमारे बीच नहीं रहे. उनसे काफी गहरे और पारिवारिक रिश्ते रहे हैं.
लक्ष्मण मस्तुरिया ने चंदैनी गोंदा, छत्तीसगढ़ी फिल्म मोर छईहा भुईया के लिए गीत लिखे तो उनके अनेकों गीत आज भी लोगों के जेहन में गूंजते हैं. सर्वप्रचलित और प्रेम-भाईचारा एवं एकता को रेखांकित करने वाला गीत मोर संग चलव जी-मोर संग चलव गा… आज भी प्रासंगिक हैं. छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान और यहां की मिट्टी में रचे-बसे कला और कवियों को एक मंच पर लाने का काम भी उन्होंने किया जो अविस्मरणीय रहेगा. सांस्कृतिक जागरण की एक नई यात्रा उन्होंने चंदैनी गोंदा से शुरू की.
छत्तीसगढ़वासियों के दिलों व यहां के कला जगत में वे सदैव जीवित रहेंगे. डॉ. महंत ने बीते दिनों हरेली तिहार के दिन कोरबा के हसदेव तट पर स्थित मां भवानी मंदिर के समीप छग महतारी मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह मों छग महतारी की आरती गीत के बीच विमोचन समारोह में उनके साथ बिताए पल को याद करते हुए भावुक मन से कहा कि छग के सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने वाली लक्ष्मण मस्तुरिया का मिला सानिध्य मुझे हमेशा अविस्मरणीय रहेगा.