रायपुर। अब सरकार आदिवासियों की जमीनों को खरीद सकेगी. दरअसल विधानसभा में आज छत्तीसगढ़ भू राजस्व संहिता संशोधन विधेयक पारित हो गया है. राजस्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय ने कहा कि वैसे तो अनुसूचित जनजाति क्षेत्र में आदिवासी जमीन नहीं ली जा सकती है, लेकिन भू राजस्व संहिता के कानून में सरकारी योजनाओं के लिए जमीन मालिक की सहमति से जमीन लिए जाने का प्रावधान है.

मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय ने बताया कि भू अर्जन की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए ये संशोधन विधेयक लाया गया है. हालांकि 165 की उपधारा के खंड 2 में ‘परंतु’ शब्द जोड़ा गया है. इसमें आपसी सहमति शासन और शासन के उपक्रम के बीच ही हो सकेगा. उन्होंने कहा कि भू अर्जन की प्रक्रिया सरल होने से प्रदेश में तेजी से विकास किया जा सकेगा. उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा साफ है कि आदिवासियों की जमीनों का कहीं कोई दुरुपयोग नहीं होने दिया जाएगा.

इस मामले में विभाग के सचिव एनके खाखा ने लल्लूराम डॉट से बातचीत में बताया कि बिल इसलिए लाया गया है ताकि सड़क, नहर जैसी परियोजना को समय से पूरा किया जा सके. उन्होंने कहा कि अक्सर आदिवासी अंचल में परियोजना भूअर्जन के चलते सालों लंबित रहती हैं. अब ऐसी सूरत में सरकार आदिवासियों की ज़मीन खरीद सकती है वो भी केवल 100 हैक्टैयर पर. उन्होंने कहा कि क्रय विक्रय 2016 में बने कानून के तहत होगा. उन्होंने कहा कि ये खरीब केवल सरकारी परियोजनाओं के लिए होगी.

मोहन मरकाम का आरोप

वहीं मोहन मरकाम ने कहा कि पांचवीं अनुसूची के तहत आदिवासियों की जमीनों को संरक्षण मिलता है. उन्होंने कहा कि नए संशोधन से असंतोष फैलेगा. मरकाम ने कहा कि लोहंडीगुड़ा और नगरनार में आदिवासियों ने जमीन दिया, लेकिन क्या हासिल हुआ. जमीन देने के बाद भी आदिवासियों को कोई फायदा नहीं हुआ. उन्होंने आरोप लगाया कि जनजातियों के हितों की रक्षा नहीं हो रही है और उनकी जमीन हड़पी जा रही है.

विधायक देवजीभाई पटेल ने कहा कि संशोधन को मैं समर्थन देता हूं, लेकिन जमीन अधिग्रहण करने के एवज में दिए जाने वाले मुआवजे की राशि पर एक बार फिर से पुनर्विचार किया जाना चाहिए.

छत्तीसगढ़ भू राजस्व संहिता संशोधन विधेयक को लेकर विमल चोपड़ा ने कहा कि ऐसे कई मामले सामने हैं, जहां जमीन आदिवासियों को वापस नहीं लौटाई गई. मुआवजे के समय राजस्व विभाग कई त्रुटियां करता है, इसलिए मुआवजा कम से कम तय करने की कोशिश की जाती है. रजिस्ट्री सड़क के करीब से करते हैं, लेकिन मुआवजा देते वक्त सड़क के बीच से मुआवजे की राशि निर्धारित की जाती है.

कांग्रेस ने जताया विरोध

पीसीसी अध्यक्ष और कांग्रेस विधायक भूपेश बघेल ने कहा कि धाराओं का दुरुपयोग किया जा रहा है. इस संशोधन विधेयक को सेलेक्ट कमेटी को भेज दिया जाए. उन्होंने कहा कि इस पर गहन विचार किए जाने की जरूरत है. भूपेश बघेल ने कहा कि आदिवासी समाज की राय ली जानी चाहिए.

इधर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टी एस सिंहदेव ने कहा कि अगर आदिवासियों की जमीन को लेकर कानून नहीं होता, तो आज आदिवासियों के पास जमीन बचती ही नहीं, ऐसे में इस कानून के संशोधन पर किसी तरह का विचार नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि अनुसूचित इलाकों में कलेक्टरों की अनुमति से जमीन बेचने का अधिकार आदिवासियों के पास है, ऐसे में सरकार को भी जमीन बेचने का अधिकार पहले से ही है.

टी एस सिंहदेव ने कहा कि तत्काल इस संशोधन विधेयक को सेलेक्ट कमेटी में भेज दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस पर पुनर्विचार की जरूरत है. सिंहदेव ने कहा कि आदिवासियों की जमीनों को बेचने का खुला अधिकार सरकार को मिल जाए, ये अनुचित है.