पुरषोत्तम पात्र, गरियाबंद। बस्तर के तर्ज पर प्रदेश के सभी ट्राइबल ब्लॉक में गरीबों को 5 रुपये किलो में चना वितरण अक्टूबर माह से किया जाना है. इसके लिए भंडारण शुरू कर दिया गया है. छग सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन लिमिटेड की निगरानी में अधिकृत फर्म द्वारा भंडारण किया जा रहा है, लेकिन यहां करप्शन का माजरा दिख रहा है. चौकीदार क़्वालिटी इंस्पेक्टर बने हैं, जबकि साहब व्हाट्सएप्प पर क़्वालिटी परीक्षण कर रहे हैं. यूं कहें कि सरकारी योजना पर सरकारी नुमाइंदें पलीता लगा रहे हैं.

दरअसल, देवभोग स्थित गोदाम से मैनपुर के लगभग 60 राशन दुकानों के लिए चना भेजा जाएगा. मंगल और बुधवार को अलग-अलग ट्रकों से यंहा चना उतारा गया. भेजे गए चने में मिट्टी और कंकड़ भरे पड़े हैं. घुन भी लगा हुआ है, जिसका साहब व्हाट्सएप्प पर क़्वालिटी परीक्षण कर चुके हैं और OK बोल दिए हैं.

भंडारण और पैकेजिंग का टेंडर राजधानी के विधानसभा रोड स्थित एक प्रभावशाली फर्म को इसका टेंडर मिला हुआ है. पहले ही खेप में भेजे गए चने की स्थिति देखकर गरीबों को सस्ते में दिए जाने वाले चना की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहा है.

क्वालिटी इंस्पेक्टर का दोहरा मापदंड
पिछले एक सप्ताह में गरियाबंद के गोदाम में राजधानी के इसी फर्म से 8 ट्रक चना भेजा गया था. चना की गुणवत्ता देखकर शुरुआत में ही वहां के क्वालिटी इंस्पेक्टर सतपति कश्यप ने 620 पैकेट को रिजेक्ट कर वापस भेज दिया.

देवभोग का प्रभार भी कश्यप के पास है. जब उनसे चने की क़्वालिटी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने गरियाबन्द में बैठे-बैठे ही फोन पर बताया कि पैकिंग के पहले ही फर्म के लिए नियुक्त गुणवत्ता परीक्षणकर्ता अधिकारी अमित तिवारी ने गुणवत्ता परीक्षण कर रिपोर्ट के साथ लोडकर भेजे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक चना खाने योग्य है. अगर हम इसे रोकेंगे तो गलत होगा.

परीक्षण का प्रवधान
जिले के खाद्य अफसरों के मुताबिक पैकिंग करने वाले फर्म के समय इसकी गुणवत्ता परीक्षण के अलावा भंडारण से पहले सम्बंधित जिले में तैनात क़्वालिटी इंस्पेक्टर को भी परीक्षण का अधिकार है. सप्ताह भर पहले क्वालिटी इंस्पेक्टर ने अपने इसी अधिकारों का प्रयोग कर परीक्षण किया, जिसमें मिट्टी की बदबू आने का कारण बता कर 620 पैकेट को रिजेक्ट कर दिया था, जबकि देवभोग में परीक्षण की खाना पूर्ति हो रही है.

पदस्थ चौकीदार लोकेश यादव बोरी में बम्बू मार कर चना का सैंपल निकाल रहा था, फिर क़्वालिटी इंस्पेक्टर उसे व्हाट्सएप्प पर देख कर पास कर रहे थे. बता दें कि बस्तर संभाग के कई जिले में इसी फर्म द्वारा चने भेजे गए हैं. दंतेवाड़ा, कोंडागांव, नारायणपुर, गरियाबंद, मैनपुर, चारामा, अंतागढ़, कोरबा, गीदम, भानुप्रतापपुर समेत कई जगह सैंपल्स फेल हुए हैं.

मामले की जानकारी देवभोग एसडीएम अर्पिता पाठक को दी गई. उन्होंने ने क्वालिटी परीक्षण के बाद ही इसे वितरण करवाने की बात कही है. अब ऐसे सवाल ये उठ रहा है कि चना सैंपल्स लगातार फेल हो रहे हैंं. कंही फेल लॉट को गरियाबंद में खपाया तो नहीं जा रहा है, ये बड़ी कमीशन और करप्शन की ओर इशारा कर रहा है.

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