रणधीर परमार, छतरपुर। मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले की यह तस्वीर विकास के वादों को जैसे पानी में बहा ले जा रही है। 78 साल की वृद्ध महिला का शुक्रवार सुबह निधन हुआ। लेकिन अंतिम यात्रा का यह नजारा शासन और प्रशासन के दावों की सच्चाई बयां कर रहा है।

विकास की ये तस्वीरें आपका दिल दहला देंगी। दरअसल, छतरपुर के नौगांव ब्लॉक के बड़गांव में एक बुजुर्ग महिला की मौत के बाद अंतिम यात्रा निकली, लेकिन कंधे पर लाश से पहले मजबूरी का बोझ था। पॉलिथीन थामते ये हाथ बता रहे हैं कि इस गांव में विकास अब भी कफन में लिपटा पड़ा है। बारिश हो या सूखा, यहां मौत भी सरकारी वादों में भीग जाती है।

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जद्दोजहद किसी जंग से कम नहीं

आम तौर पर अंतिम संस्कार में चार कंधों की जरूरत होती है। लेकिन, यहां कंधा देने वालों के हाथों में पॉलिथीन थामने की मजबूरी है। जद्दोजहद किसी जंग से कम नहीं। ताकि मृतिका की लाश को और खुद को भी बारिश से बचाया जा सके।

विकास की सांस रोक देने वाली सच्चाई

पक्की सड़क और गांव का विकास लोगों की उम्मीदों से भी कोसों दूर है। आज भी बड़गांव मूलभूत सुविधाओं के लिए बारिश और बदहाली के बीच संघर्ष करता नजर आता है। सरकार की योजनाओं के पोस्टर गांव तक पहुंचते हैं, लेकिन सुविधाएं आज भी यहां की मिट्टी में दबी पड़ी हैं। यह तस्वीर सिर्फ एक मौत की नहीं, बल्कि विकास की सांस रोक देने वाली सच्चाई की है।

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सम्मान से विदाई भी नसीब नहीं

छतरपुर जिले में मौत के बाद भी इंसान को सम्मान से विदाई नसीब नहीं हो रही है। अंतिम यात्रा के कंधों पर पॉलिथीन का बोझ है और विकास सिर्फ सरकारी फाइलों में दफन है। बारिश में बहते विकास का यह दर्दनाक सच है! देखना यह होगा कि अगली बारिश तक यहां विकास आता है या फिर इसी तरह पॉलिथीन का बोझ कंधे पर रहता है।

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