रायपुर। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में छत्तीसगढ़ के अछोटी का जीवन विद्या धूम मचा रहा है. बीते ढाई वर्षों में दिल्ली के सरकारी स्कूलों में मानवीय मूल्यों पर केंद्रित शिक्षा देने का जो प्रयोग किया गया है, उसने दिल्ली के सरकारी स्कूलों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ला खड़ा किया है.

इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है रही दिल्ली सरकार की ओर से 25 हजार शिक्षकों की जो ट्रेनिंग कराई गई है वो. दरअसल दिल्ली सरकार में उप मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया इस प्रयोग के सूत्रधार रहे हैं. मनीष सिसोदिया छत्तीसगढ़ के कुम्हारी स्थित अछोटी में संचालित जीवन विद्या केंद्र अभ्युदय संस्थान से विगत 15 वर्षों से जुड़े हुए हैं. उनके प्रयासों से ही दिल्ली के स्कूलों में चेतना विकास मूल्य शिक्षा अब हैप्पीनेस करिकुलम के रूप में पढ़ाई जा रही है. अभ्युदय संस्थान व अभिभावक विद्यालय के प्रयासों से हैप्पीनेस कुरीकुलम तैयार किया गया है.

इस हैप्पीनेस करीकुलम को जानने और समझने के लिए वर्ष 2015 से ही मनीष सिसोदिया दिल्ली के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को प्रशिक्षण दिलवा रहे हैं. 2015 में वे खुद शिक्षा विभाग के अधिकारियों और शिक्षकों की एक टीम लेकर अछोटी आश्रम पहुँचे थे. बीते एक वर्ष में दिल्ली के 25 हजार शिक्षकों का जीवन विद्या शिविर कराया गया. इस आधार पर हैप्पीनेस कुरीकुलम अब नियमित रूप से दिल्ली के स्कूलों में पढ़ाया जा रहा है

इसी कड़ी में चेतना विकास मूल्य शिक्षा को राज्य शैक्षिक अनुसंधान व प्रशिक्षण परिषद दिल्ली में बेहतर स्वरूप देने के क्रम में 68 प्राध्यापकों का 8 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर अभ्युदय संस्थान में 20 से 28 जनवरी तक चलकर सम्पन्न हुआ. जिसमें 2 दिन मनीष सिसोदिया और दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग के संचालक उदित प्रकाश उपस्थित मौजूद रहें.

गौरतलब है कि अभ्युदय संस्थान अछोटी में श्रद्धेय ए नागराज जी द्वारा प्रतिपादित मध्यस्थ दर्शन का अध्ययन देश-विदेश के जिज्ञासुओं को कराया जाता है.

दूसरी ओर छत्तीसगढ़ की बात करे तो अपने घर का ही यह अभिनव मॉडल यहाँ के सरकारी स्कूलों में अब प्रयोग के तौर लागू नहीं हो सका है. पूर्व सरकार में कुछ हद तक एक प्रयास हुआ था, लेकिन बाद उसी सरकार में यह ठंडे बस्ते में चला गया था. लेकिन दिल्ली सरकार अछोटी के जीवन विद्या को लेकर आगे बढ़ रही है.

दिल्ली सरकार में हैप्पीनेस करीकुलम के अध्यक्ष अनिल तेवतिया से हमने खास-बातचीत की. जीवन विद्या, मानवीय शिक्षा, नई शिक्षा नीति, बाजारवाद, अँग्रेजीकरण और मातृभाषा पर क्या कुछ कहा सुनिए…..

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