बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने महिला प्रशिक्षण अधिकारी के. अरुन्धती के स्थानांतरण आदेश पर अंतरिम राहत देते हुए उस पर स्थगन (स्टे) लगा दिया है। न्यायमूर्ति पार्थ प्रतीम साहू की एकलपीठ ने राज्य शासन को निर्देश दिया है कि याचिकाकर्ता को उनके पूर्व पदस्थापना स्थल महिला आईटीआई, दुर्ग में ही यथावत पदस्थ किया जाए।

जानिए क्या है पूरा मामला ?

याचिकाकर्ता के. अरुन्धती, जो सेक्टर-4, भिलाईनगर (जिला दुर्ग) की निवासी हैं, वर्तमान में महिला आईटीआई कॉलेज, दुर्ग में प्रशिक्षण अधिकारी के पद पर कार्यरत थीं। तकनीकी शिक्षा एवं रोजगार विभाग, नवा रायपुर द्वारा हाल ही में जारी आदेश के तहत उनका स्थानांतरण दुर्ग से बीजापुर जिले के लिए कर दिया गया था। इस आदेश से असंतुष्ट होकर उन्होंने अपने अधिवक्ता अभिषेक पांडेय एवं वर्षा शर्मा के माध्यम से उच्च न्यायालय में याचिका दायर की।

अधिवक्ताओं ने रखे ये प्रमुख तर्क

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं ने यह तर्क प्रस्तुत किया कि अरुन्धती का पुत्र भव्य नायडु वर्तमान में डीएवी पब्लिक स्कूल, दुर्ग में कक्षा चौथी का छात्र है। ऐसे में शैक्षणिक सत्र के मध्य में उनका स्थानांतरण किया जाना, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के विपरीत है। उन्होंने डायरेक्टर ऑफ स्कूल एजुकेशन, मद्रास बनाम ओ. करूप्पा थेवन एवं अन्य मामले में दिए गए सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि जब किसी शासकीय कर्मचारी का बच्चा अध्ययनरत हो, तो मिड-सेशन में उसका ट्रांसफर अनुचित माना गया है।

इसके अतिरिक्त अधिवक्ताओं ने यह भी बताया कि याचिकाकर्ता की 77 वर्षीय माता के. भगवती, मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं और उनका इलाज दुर्ग जिले में ही चल रहा है। ऐसे में परिवारिक व चिकित्सकीय परिस्थितियों को नजरअंदाज करते हुए उन्हें घोर अनुसूचित क्षेत्र बीजापुर स्थानांतरित किया जाना पूर्णतः अव्यवहारिक और नियमविरुद्ध है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला

याचिकाकर्ता की ओर से एस. के. नौशाद रहमान बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के मामले में पारित निर्णय का भी हवाला दिया गया, जिसमें यह सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है कि ट्रांसफर नीति को मानवीय दृष्टिकोण से लागू किया जाना चाहिए, न कि केवल प्रशासनिक औपचारिकता के रूप में।

हाईकोर्ट ने दी अंतरिम राहत

सभी तर्कों पर विचार करने के पश्चात् न्यायमूर्ति पार्थ प्रतीम साहू ने यह माना कि प्रस्तुत परिस्थितियों में याचिकाकर्ता के स्थानांतरण आदेश पर अस्थायी रोक लगाना उचित है। अदालत ने राज्य शासन एवं संबंधित विभागों को निर्देश दिया कि वे के. अरुन्धती को तत्काल उनके पूर्व पदस्थापना स्थल महिला आईटीआई, दुर्ग में पदस्थ करें, जब तक कि मामले का अंतिम निपटारा न हो जाए।

इस आदेश से राज्य शासन के स्थानांतरण नीति के मानवीय पक्ष पर एक बार फिर न्यायिक दृष्टिकोण स्पष्ट हुआ है। अब मामले की अगली सुनवाई में राज्य सरकार से जवाब प्रस्तुत करने की अपेक्षा की जाएगी।

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