पुरुषोत्तम पात्रा. गरियाबंद. पहली बार शिक्षकों की समस्या सुनने के लिए शिविर लगाया गया. शिविर में ज्वाइंट डायरेक्टर (जेडी) के समाने शिक्षकों का दर्द छलका. शिक्षकों ने उन्हें बताया कि जवाबदारों के लापरवाही के कारण विगत 5 वर्षो से 750 शिक्षकों का ढाई करोड़ रुपये से ज्याद पैसा फंसा है.

जेडी ने भी कहा दफ्तर में बैठ कर इसका समाधान सम्भव न था,न ही समस्या इस तरह से निकल कर आती. आपको बता दे कि प्रदेश भर में रायपुर सम्भाग ही है जो शिक्षकों की समस्या के निदान के लिए “सवर्धन” नाम से अभियान चला रही है. इसकी शुरुवात आज देवभोग से किया गया है. सम्भाग के ही  बागबाहरा में 9 अक्टूबर,नगरी में 24 अक्टूबर,कसडोल में 31 अक्टूबर व तिल्दा में 7 नवम्बर को यह शिविर लगाया जाएगा. इसे भी पढ़ें – जनवरी में शादी करने वाली हैं Mouni Roy! एक्ट्रेस के कजिन ने किया खुलासा …

शिक्षा विभाग के सयुक्त संचालक जेपी रथ ने जिस उद्देश्य से रायपुर सम्भाग के दुरस्थ ब्लाकों में शिक्षकों की समस्या समाधान करने ,इस सवर्धन शिविर का रूप रेखा तय किया था,उसकी सार्थकता आज देवभोग कन्या शाला में लगे शिविर में देखने को मिली. ब्लॉक में कार्यरत 750 शिक्षकों ने 317 आवेदनों के माध्यम से अपनी समस्याएं रखी. ज्यादातर समस्या शिक्षकों के वेतन से जुड़ी हुई है, जिसे निराकरण के लिए ब्लॉक व जिला स्तर पर पिछले 3 वर्षों से ज्यादातर शिक्षक अपने ही विभाग के दफ्तरों का चक्कर काट रहे थे. तय कार्यक्रम के मुताबिक इस शिविर में शिक्षा विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर जे पी रथ,डीईओ करमन खटकर व बीईओ प्रदीप शर्मा मौजूद थे. वेतन विसंगति से जुड़ी 10 से भी ज्यादा आवेदनों का निराकरण बीईओ व डीईओ ने तत्काल किया.

 500 शिक्षकों के डेढ़ करोड़ रुपये का कोई लेखा जोखा नहीं

सहायक शिक्षक फेडरेशन ने सयुक्त रूप से आवेदन दे कर बताया कि इसे भी पढ़ें – मुख्यमंत्री Yogi Adityanath से मिली Kangana Ranaut, गिफ्ट में मिला ये खास तोहफा …  एलबी सवर्ग के 500 शिक्षको का 2018 से पहले जब जनपद कार्यालय से वेतन मिलता था,2014 से 36 माह तक वेतन से 10 प्रतिशत राशि नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) के तहत काटा गया था. कटौती की राशि प्रत्येक शिक्षक के ब्यक्तिगत प्रान नम्बर में नहीं दिखाई दे रही है. जमा पूंजी की यह रकम लगभग डेढ़ करोड़ है. 2018 के बाद हुई कटौती राशि भर उक्त खाते में दिख रही है.

रुपये कहा जमा है जनपद यह बताने को तैयार नहीं है. संघ के प्रवक्ता अनिल सिन्हा ने बताया कि इस अवधि में 15 शिक्षक साथियों की मौत भी हो गई. पेंशन योजना की पूरी रकम मृत शिक्षक के आश्रित परिवार को भी नहीं मिली है. जबकि जिले के अन्य 4 ब्लॉक में एनपीएस की  समस्या समय रहते सुलझा लिया गया है. आश्रितों के दर्द सुनकर सयुक्त संचालक जेपी रथ भी भाऊक हुए. मौके पर ही तत्काल ब्लॉक शिक्षा अधिकारी से एक प्रस्ताव बनवा कर जमा रकम की जानकारी मांगने जनपद पंचायत को भेजा गया है .15 दिवस के भीतर खाते में रुपये नजर नहीं आया तो पंचायत विभाग के सचिव से पत्राचार करने की बात जेपी रथ ने कही है.

रिकव्हरी का 71.54 लाख अब तक वापस नहीं मिला 60 शिक्षकों को

लापरवाही के चलते अन्य मदो के रुपयों के लिए जुझ रहे शिक्षकों में से  1998 बैच के 60 शिक्षक ऐसे भी है जिनके खाते में जमा 18 माह के क्रमोन्नत वेतनमान 71 लाख 54 हजार 595 रुपये वर्ष 2015-16 में जमा कराया. सरकार ने क्रमोन्नत वेतनमान को गलत ठहराते हुए  2017 में रकम की रिकव्हरी कर लिया. इस पर लगी याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने रिकव्हरी को गलत ठहराते हुए रुपये शिक्षकों को वापस करने का आदेश दिया. प्रदेश भर में यह रुपये सम्बन्धितो को वापस हो गए, लेकिन इस मामले में भी देवभोग ब्लॉक के शिक्षक लापरवाही का शिकार हुए. रिकवरी की रकम अपने खाते में जमा कराने वाली बीईओ दफ्तर अपने अधीनस्थ कर्मियों को इसका भुगतान 3 साल बाद भी नहीं कर सकी.

एरियर्स का 35 लाख भी नहीं मिला, ई भुगतान पद्धति में भी पिछड़ा है ब्लॉक

वर्ष 2007 से 2013 के अवधि में नियुक्त सहायक शिक्षक एलबी संवर्ग के 200 से भी ज्यादा शिक्षकों का समयमान वेतन मान भुगतान के एरियर्स राशि 28 लाख के अलावा व्याख्याता वर्ग के  शिक्षकों का  जुलाई 2019 से मिलने वाले 3 प्रतिशत महंगाई भत्ता का 6 माह का एरियर्स खाते में व 1 माह का नगद दिया जाना था,जिसे अब तक नहीं दिया जा सका है. आवेदनों में बताया गया है कि अन्य ब्लॉक की भांति देवभोग में वेतन भुगतान प्रक्रिया आज भी मेनवली होता है. ई भुगतान का प्रावधान आज भी नहीं है. पुरानी प्रक्रिया के चलते महीने के अंतिम तारीख को मिलने वाला वेतन भुगतान 5 से 7 तारीख तक पहुंच जाता है.