रायपुर। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लेकर राज्य सरकार की ओर से जारी अधिसूचना पर सियासत तेज है. भारतीय जनता पार्टी इस अधिसूचना पर हर मंच से सवाल उठा रही है, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के कार्यकाल के दौरान भी दो बार इस संबंध में अधिसूचना जारी हो चुकी है. इसे भी पढ़ें : रासुका अधिनियम पर भाजपा के आरोप पर मुख्यमंत्री बघेल का पलटवार, कहा- क्यों हाय-तौबा मचाया जा रहा है, इतनी ही परेशानी है तो केंद्र से खत्म करवा दें…

राज्य शासन द्वारा 3 जनवरी 2023 को छत्तीसगढ़ राजपत्र ( असाधारण) प्रकाशित हुआ है. इसमें राज्य की सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले जिन विषयों का समावेश किया गया है. इन्हीं विषयों पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल के दौरान 30 सितंबर 2015 और 20 सितंबर 2016 को छत्तीसगढ राजपत्र ( असाधारण) के माध्यम से अधिसूचनाएँ जारी हो चुकी हैं. यही नहीं राज्य शासन द्वारा 3 जनवरी 2023 को प्रकाशित छत्तीसगढ़ राजपत्र ( असाधारण) में राज्य की सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले जिन विषयों का समावेश किया गया है, उन्ही विषयों पर पूर्ववर्ती वर्षों में भी अधिसूचनाएँ जारी हुई हैं.

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वर्तमान अधिनियम में यह भी वर्णित है कि राज्य सरकार द्वारा निरोधादेश में उल्लेखित समयावधि प्रथम अवसर पर 3 माह से अधिक नहीं हो सकेगी, उक्त आदेश को समय-समय पर कितने भी समय पर संशोधित कर सकता है, लेकिन एक समय में समयावधि 3 माह से अधिक नहीं होगी.

अधिसूचना के अनुसार, राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 की धारा 03 के अधीन ऐसे व्यक्तियों के निरोध के लिये राज्य सरकार द्वारा ऐसे किसी भी हानिकारक कार्य को करने से रोकने की दृष्टि से जो कि लोग व्यवस्था बनाये रखने में बाधक हो या समाज के लिए आवश्यक सेवा और पूर्ति की व्यवस्था बनाये रखे के लिए हानिकर काम कर रहा हो, ऐसे व्यक्ति के निरूध किये जाने हेतु निदेशित करने के निर्दिष्ट प्रावधानों के अनुसार राज्य स्थापना के बाद छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राजपत्र ( असाधारण) के माध्यम से ऐसे अधिसूचना प्रसारित कर जिला दण्डाधिकारियों को उनकी अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के भीतर के क्षेत्रों में विद्यमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 के धारा 3 की उप धारा (2) में उपबंधित रूप से समाधान हो जाने पर निरोधात्मक कार्यवाही हेतु अधिकृत करता है.

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