रायपुर। कोरोना महामारी के इस दौर में छत्तीसगढ़ सरकार को इसलिए अरबो रूपए का नुकसान हो रहा है, क्योंकि राज्य में वैट ट्रिब्यूनल में साल भर से चेयरमैन की नियुक्ति नहीं हो पाई है. नियुक्ति में देरी से वैट संबंधी अपीलों का निराकरण नहीं हो पा रहा है. ऐसे में यदि नियुक्ति में देरी बढ़ेगी, तो शासन को होने वाली क्षति भी बढ़ेगी. यदि कारोबारियों पर वैट लगाया जाता है, तो वो असंतुष्ट होकर कोर्ट की शरण लेते हैं. जिससे पैसा मिलने में देरी होती है. ट्रिब्यूनल में चेयरमैन नहीं होने के कारण कई प्रकरण लंबित पड़े हैं.

व्यापारियों ने नियमानुसार कुल करारोपण की 15 या 20 फीसदी राशि जमा करा दी है. उसके बाद अपील पर फैसला नहीं होने से बाकी राशि सरकारी खजाने तक नहीं पहुंचती है. जिससे सरकार को राजस्व का बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है. बताया गया है कि ट्रिब्यूनल में जाने योग्य बड़ी संख्या में मामले लंबित हैं. बाकी कामकाज कोरोना वायरस के वजह अटके पड़े हैं.

दरअसल किसी व्यापारी पर 1 करोड़ रुपए का वैट लगा है, तो वह इस करारोपण के खिलाफ ट्रिब्यूनल में पहली अपील में जाता है और उसे कर की राशि का 15 प्रतिशत जमा करना होता है. बाकी 85 फीसदी रकम वह फैसला आने के बाद करता है. वही व्यापारी अगर दूसरी अपील में जाता है, तो उसे फिर 20 प्रतिशत राशि अदा करनी पड़ती है. बाकी 80 फीसदी राशि बाद में जमा की जाती है. इस तरह एक प्रकरण में सरकार को करारोपण की 35 प्रतिशत राशि मिल जाती है, लेकिन ट्रिब्यूनल में चेयरमैन न होने से प्रकरण लंबित पड़े हैं. अगर प्रकरण में दो अपील होती है, तो भी सरकार को राजस्व मिलता है.

बता दें कि इससे पहले अनिता झा राज्य के वैट ट्रिब्यूनल की चेयरमैन थी, लेकिन उनका कार्यकाल जुलाई 2019 में समाप्त हो गया है. जिसके बाद बाद से नई नियुक्ति अभी तक नहीं हुआ है. अब वैट ट्रिब्यूनल में नये नियुक्ति का इंतजार है.