दिल्ली से अक्षय दुबे की रिपोर्ट

दिल्ली।  छत्तीसगढ़ी मातृभाषा की लड़ाई अब देश की राजधानी दिल्ली तक पहुंच गई है। छत्तीसगढ़िया महिला क्रांति सेना और छत्तीसगढ़ी राजभाषा मंच के सयुंक्त तत्वावधान में बड़ी संख्या में लोग सत्याग्रह के लिए एकजुट हुए। सत्याग्रहियों की मांग है कि छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी सहित गोंडी, हल्बी,भथरी, सरगुजही, कुडुख जैसी सभी मातृभाषाओं को प्राथमिक शिक्षा का माध्यम बनाया जाए। साथ ही राजभाषा छत्तीसगढ़ी को आठवीं अनुसूची में शामिल  किया जाए।
छत्तीसगढ़िया महिला क्रांतिसेना की प्रदेश अध्यक्ष लता राठौर ने बताया, “मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा हम लोगों का संवैधानिक अधिकार इसके बावजूद हम लोगो को इससे वंचित रखा जा रहा है।” लता राठौर ने बताया कि वे लोग किसी के विरोध में नहीं बल्कि अपनी भाषा के समर्थन में यहां एकजुट हुई हैं।
वहीं छत्तीसगढ़ी राजभाषा मंच के सयोंजक नंद किशोर शुक्ल ने कहा कि पढ़ाई लिखाई के बगैर भाषा की उन्नति नही हो सकती। वह भाषा विलुप्त हो जाती है। इसलिए यह भाषा को जीवित रखने के लिए सत्याग्रह है।
पत्रकार और राजभाषा मंच के सह सयोंजक अक्षय दुबे ‘साथीे’ ने कहा कि यह लड़ाई किसी एक मतृभाषा कि लड़ाई नही है बल्कि यह भारत में विलुप्त हो रही 200 पुरानी मातृभाषों की भी जो आज मौत के मुहाने पर है।भारत आज भाषाओ के विलुप्त होने की लिहाज़ से सबसे बड़ा मरघट बन गया है।
राजघाट से हुआ सत्याग्रह का आगाज़
सत्याग्रह की शुरुआत महात्मा गांधी  की समाधि स्थल से हुई। सत्याग्रहियों ने गांधी को नमन कर छत्तीसगढ़ सरकार की सद्बुद्धि की कामना की। बताया गया कि बापू मतृभाषा के सबसे बड़े हिमायती थे। वे चाहते थे कि प्राथमिक शिक्षा का मातृभाषा में होना व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है।
सांसदों ने दिया समर्थन 
मतृभाषा के लिए हो रहे इस सत्याग्रह को छत्तीसगढ़ के अधिकतर सांसदों ने समर्थन दिया। साथ ही कहा कि वे इस मसले को विस्तार देंगे। वहीं छत्तीसगढ़  से राज्यसभा सांसद छाया वर्मा। और लोकसभा सांसद लखनलाल साहू ने
सत्याग्रह स्थल में आकर अपना समर्थन दिया।
छाया वर्मा ने कहा, “ये  दुर्भाग्य है कि हम लोगों की अपनी  मतृभाषा को की रक्षा के लिए यह कदम उठाना पड़ रहा है। वहीं लखन लाल साहू ने कहा कि यह वाजिब मांग है। एक जनप्रतिनिधि होने के नाते वे हर संभव प्रयास करेंगे। बता दें कि छत्तीसगढ़ प्रदेश कॉंग्रेस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ  के  अध्यक्ष शरीक रइस खान और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव ने भी अपना समर्थन दिया।

जंजीर से जकड़ा युवक रहा प्रदर्शन का केंद्र

सत्याग्रह के दौरान हाथ और पैरों पर जंजीर से जकड़ा युवक सबके आकर्षण का केंद्र रहा ।दरअसल प्रमोद साहू नाम का यह युवक प्रदर्शन कला के द्वारा छत्तीसगढ़ी की पीड़ा को ज़ाहिर कर रहा है। प्रमोद ने कहा कि हमारी संस्कृति पर आंच आएगी तब एक कलाकार होने के नाते वे पीड़ित हुए बिना नही रह सकते।
प्रधानमंत्री और एचआरडी मिनिस्टर को ज्ञापन
सत्याग्रहियों ने अपनी मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को ज्ञापन दिया। इस दौरान प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, मेरे अनुभव के आधार पर यह वाजिब मांग है। इसे लेकर आवश्यक कदम जल्द उठाया जाएगा।
जंतर-मंतर में ‘छत्तीसगढ़ी’ रहा ऐतिहासिक
पत्रकार अक्षय दुबे साथी के अनुसार दिल्ली के जंतर-मंतर में पहली बार छत्तीसगढ़ी संस्कृति और भाषा की छटा बिखरी। बताया गया कि यह पहला मौका है जब जंतर मंतर में छत्तीसगढ़ी भाषा में आवाज़े गूंजी। साथ ही छत्तीसगढ़ से आईं महिलाएं छत्तीसगढ़ की परिधान और पारम्परिक श्रृंगार से सुसज्जित होकर राज्य की संस्कृति को प्रचारित कर रहीं थी।