राजिम, गरियाबंद। फिंगेश्वर की बेटी निहारिका सिन्हा आज प्रदेश का नाम रोशन कर रही है, वो एक मिसाल है आज के युवाओं के लिए. बता दें कि छत्तीसगढ़ की ये बेटी सशस्त्र सीमा बल में असिस्टेंट कमांडेंट है और बस्तर के बीहड़ों में पूरी बहादुरी के साथ SSB का नेतृत्व कर रही है.

नक्सलियों के गढ़ में बेखौफ होकर निहारिका उनके दांत खट्टे करने में लगी हुई हैं. अंतागढ़ में निर्माणाधीन रावघाट रेललाइन परियोजना में उनकी ड्यूटी लगाई गई है, जहां वे सशस्त्र सीमा बल के सैकड़ों जवानों का नेतृत्व कर रही हैं.

साल 2014 में संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा के जरिए SSB से 4 महिला अधिकारियों की नियुक्ति हुई थी. इस पहली बैच में छत्तीसगढ़ से प्रियदर्शिनी निहारिका सिन्हा, पंजाब से नैंसी सिघला, राजस्थान से तन्वी शुक्ला और दिल्ली से रीना का चयन हुआ.

निहारिका सिन्हा गरियाबंद के फिंगेश्वर ब्लॉक के मध्यमवर्गीय परिवार से आती हैं. भिलाई विशेष अपराध अनुसंधान ईकाई में पदस्थ महेश सिन्हा इनके पिता हैं. निहारिका दुर्ग के सेंट जेवियर्स स्कूल से 12वीं तक पढ़ाई की है. इसके बाद भिलाई के छत्रपति शिवाजी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स में डिग्री ली. फिर राज्य की प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता हासिल करने के साथ ही CPO की सब इंस्पेक्टर परीक्षा में निहारिका टॉपर रहीं.

बैंकिंग परीक्षा पास करने के साथ ही भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद दिल्ली में कार्यरत रहते हुए निहारिका सिविल परीक्षाओं में भी चयनित हुईं. लेकिन देश भक्ति और कुछ अलग करने का जज्बा उन्हें सशस्त्र सीमा बल में खींच लाई. 

गौरतलब है कि पहले सशस्त्र सीमा बल में महिला अफसर नहीं होती थीं. लेकिन अब महिलाओं को भी इसमें लिया जा रहा है. 2014 में संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा के जरिए महिला अधिकारियों की पहली बैच निकली.

निहारिका सिन्हा के माता-पिता ने कहा कि उन्हें अपनी बेटी पर नाज़ है और वे चाहते हैं कि उनकी बेटी इसी तरह से बहादुरी के साथ हर मुश्किलों का सामना करे. पुलिस इंस्पेक्टर पिता महेश सिन्हा ने कहा कि निहारिका ने सशस्त्र सीमा बल में काम करके उनका सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है.