नई दिल्ली। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) एनवी रमना ने मीडिया को नसीहत देते हुए कहा कि स्वतंत्र पत्रकारिता लोकतंत्र की रीढ़ है. उन्होंने कहा कि इसलिए मीडिया को ईमानदार पत्रकारिता तक सीमित रहना चाहिए और सही तथ्यों को लोगों तक लाना चाहिए. प्रधान न्यायाधीश ने जोर देकर कहा कि स्वतंत्र पत्रकारिता लोकतंत्र की रीढ़ है और पत्रकार जनता की आंख और कान हैं. “तथ्यों को प्रस्तुत करना मीडिया घरानों की जिम्मेदारी है. विशेष रूप से भारतीय सामाजिक परिदृश्य में लोग अभी भी मानते हैं कि जो कुछ भी छपा है वह सच है.

लोग आज भी मीडिया में छपी बातों को सच मानते हैं- CJI

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि मीडिया को अपने प्रभाव और व्यावसायिक हितों का विस्तार करने के लिए इसे एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किए बिना खुद को ईमानदार पत्रकारिता तक ही सीमित रखना चाहिए. उन्होंने एक किताब को विमोचन के मौके पर कहा कि जब एक मीडिया हाउस के अन्य व्यावसायिक हित होते हैं, तो यह बाहरी दबावों के प्रति संवेदनशील हो जाता है. अक्सर, व्यावसायिक हित स्वतंत्र पत्रकारिता की भावना पर हावी हो जाते हैं. परिणामस्वरूप, लोकतंत्र से समझौता हो जाता है.

सीजेआई एनवी रमना

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CJI रमना ने पुराने दिनों को किया याद

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (CJI NV Ramana) ने 26 जुलाई को गुलाब कोठारी की लिखी ‘गीता विज्ञान उपनिषद’ (Geeta Vigyan Upanishad) किताब का विमोचन किया. उन्होंने कहा कि मैं केवल इतना कहना चाहता हूं कि मीडिया को इसे एक उपकरण के रूप में उपयोग किए बिना ईमानदार पत्रकारिता तक ही सीमित रखना चाहिए. उन्होंने 1975 में आपातकाल के दिनों को याद करते हुए मीडिया की भूमिका पर बात की. उन्होंने कहा कि मीडिया घराने ही आपातकाल के काले दिनों में लोकतंत्र के लिए लड़ने में सक्षम थे.

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पहले पत्रकारों के बीच थी स्वस्थ प्रतिस्पर्धा- सीजेआई रमना

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना के अनुसार मीडिया हाउस की वास्तविक प्रकृति का निश्चित रूप से समय-समय पर आकलन किया जाना चाहिए. उन्होंने पत्रकार (Journalist) के रूप में अपने दिनों को याद करते हुए कहा कि वह समाचार कवरेज के लिए सार्वजनिक परिवहन से यात्रा करते थे और जनहित की कहानियां करने के लिए उस दौरान पत्रकारों के बीच एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होती थी.