सुप्रिया पाण्डेय, रायपुर। राजधानी की सड़कों पर भिक्षा मांगने वाले बच्चों को लेकर जिला प्रशासन के द्वारा एक विशेष अभियान चलाया जा रहा है. जिसके तहत ऐसे बच्चे जो भिक्षावृत्ति में संलिप्त पाए गए है, जो अपशिष्ट पदार्थों का संग्रहण करते है या ऐसे बच्चे जो बाल श्रम करते हुए नजर आते हैं, ऐसे बच्चों की पहचान की जा रही है. जिन बच्चों को जीवनयापन के लिए कठिनाई का सामना करना पड़ता है जिला प्रशासन के द्वारा उनकी मदद की जाएगी. यह बात महिला एवं बाल विकास अधिकारी अशोक पाण्डेय ने कही.

ऐसे बच्चों के सर्वेक्षण को लेकर अशोक पाण्डेय ने बताया कि सर्वे का कार्य प्रारंभ हुआ है जो 25 जनवरी तक चलेगा, इसमें तीन प्रकार के बच्चों का हम सर्वे करवा रहे हैं. भिक्षावृत्ति में संलिप्त बच्चे, जो बच्चे अपशिष्ट संग्रहण कर रहे और जिन बच्चों से बाल श्रम कराया जाता है. सर्वेक्षण के लिए कलेक्टर ने पूरे जिले में टीम का गठन किया है.

बच्चों की भिक्षावृत्ति की वजह बताते हुए महिला बाल विकास अधिकारी ने कहा कि ऐसे बच्चे भी सर्वेक्षण में सामने आ रहे है, जिनके माता-पिता नहीं है, या फिर ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता है पर उनकी आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से वे बच्चों से भीख मंगवाते हैं.

भिक्षावृत्ति और अपशिष्ट संग्रहण करने वाले बच्चे ज्यादा मिल रहे हैं. या तो उनके माता-पिता नहीं है और यदि माता-पिता है तो वे पैसे के लिए उन बच्चों से भीख मंगवा रहे हैं. ऐसे बच्चों को हमारे द्वारा सुरक्षा, संरक्षण एवं आश्रय प्रदान किया जाएगा. जिनके माता-पिता है. उन्हें शिक्षा एवं अन्य आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी. उसके साथ ही शासन के विभिन्न योजनाओं का लाभ उनके परिजनों को दिया जाएगा.