रायपुर। विश्व के सबसे अधिक मूल्यवान मानव संसाधन को समृद्ध बनाने के लिए बच्चों की अच्छी शिक्षा-दीक्षा और परवरिश पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है. बच्चों को ऐसा वातावरण मिले कि उनका बचपन सुरक्षित रहे और उन्हें अपनी प्रतिभाओं को निखारने का उचित अवसर मिले. राज्यपाल अनुसुईया उइके ने यह विचार गुरुवार को राजभवन के दरबार हॉल में बाल दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त की.

राज्यपाल उइके ने कहा कि हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री पण्डित जवाहर लाल नेहरू बच्चों को विशेष स्नेह करते थे, और बच्चे उन्हें प्यार से चाचा नेहरू कहते थे, इसलिए पण्डित नेहरू के जन्म दिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है. उन्होंने बच्चों पर बढ़ते हुए बस्ते के बोझ पर चिंता जताते हुए कहा कि आजकल यह देखा जाता है कि बच्चे तनाव के दौर से भी गुजर रहे हैं. उनका बचपन खो सा गया है, हमें चाहिए कि बच्चों को ऐसा वातावरण दें कि उनकी प्रतिभा को विकसित होने का पर्याप्त अवसर मिले.

इस दौरान मौजूद पुलिस महानिदेशक डीएम अवस्थी ने कहा कि राज्यपाल को तब से जानता हूं, जब मैं वर्ष 1991 से 1993 के मध्य छिंदवाड़ा जिले में पुलिस अधीक्षक के पद पर था. मैंने उस समय महसूस किया था कि वे बड़ी संवेदनशील हैं. उन्होंने दिव्यांग बच्चों की प्रस्तुति की सराहना करते हुए कहा कि इन बच्चों के गीत के साथ-साथ संगीत से तालमेल भी अनोखा था. उन्होंने कहा कि इन बच्चों को पुलिस अधिकारियों की बैठक में आमंत्रित करेंगे और उनकी प्रतिभा एवं संवेदनाओं से वाकिफ हो सकेंगे.

राज्यपाल के सचिव सोनमणि बोरा ने कहा कि मैंने अपने अल्प कार्यकाल में महसूस किया कि राज्यपाल बहुत संवेदनशील हैं. वे समाज के चहुंमुखी विकास के लिए प्रयासरत रहती हैं. उन्होंने कहा कि बच्चे ही कल के भावी नागरिक हैं और बच्चों के सर्वांगीण विकास से ही देश का उचित विकास हो सकेगा. इस अवसर पर राज्यपाल के विधिक सलाहकार एनके चन्द्रवंशी सहित राजभवन के अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे.