दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के एक गांव के खेत में बच्चों को 4 नग एक्सपायर पैरा सेल मिले हैं. बताया जा रहा है कि बच्चे इस पैरा बम (इल्युमिनेटिंग सेल) को खिलौना समझ कर खेल रहे थे. इससे गांव वालों को पता चलते ही हड़कंप मच गया.

ग्रामीणों ने पुलिस को बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नजर जब इस पर पड़ी तो उन्होंने इसकी जानकारी गांव वालों को दी. जिसके बाद BDS की टीम ने मौके पर पहुंच कर पैरा सेल (इल्युमिनेटिंग सेल) को नष्ट कर दिया. इधर, इस मामले में असफरों ने कहा कि गांव के नजदीक पैरा सेल कहां से याए इस मामले की जांच की जा रही है. जांच के लिए एक टीम भी गठित की गई है. पूरी जांच होने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है.

इस मामले को लेकर समाजसेवी बेला भाटिया ने ट्वीट किया था, उन्होंने लिखा था कि यह किस प्रकार के विस्फोटक हैं ? आज दंतेवाड़ा शहर की सरहद की एक छोटी बस्ती चूड़ीटेकड़ा – माझी पदर की आंगनवाड़ी के बच्चों को यह खेतों में मिले। खिलौना समझ आंगनवाड़ी में ले आए। किसी ने स्थल का निरीक्षण कर पुलिस को बुलाया। बस्ती वालों ने आज बम विस्फोट की आवाज कई बार सुनी.

जानकारी के मुताबिक, जिले के चूडिटिकरा-मांझीपदर इलाके में ये सारे पैरा सेल मिले हैं. शुक्रवार को आंगनबाड़ी के बच्चे खेलते हुए खेत तक पहुंच गए थे. जहां उन्हें एक ही जगह ये सारे पैरा सेल दिखे. बच्चों ने खिलौना समझ कर बम को हाथों में उठा लिया था. जिसके बाद कुछ देर तक इससे खेलत रहे. लेकिन, थोड़ी देर में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता यहां पहुंच गई. जिन्होंने बच्चों के हाथ से बम छुड़वाए, फिर इसकी जानकारी गांव के लोगों को दी गई.

इस मामले में लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में दंतेवाड़ा एसपी सिद्धार्थ तिवारी ने बताया कि यह कोई विस्फोटक सामग्री नहीं है. इसे इल्युमीनेटिंग सेल कहा जाता है, जो सिग्नल देने के उपयोग में लाया जाता है. यह सेल एक्सपायर्ड था, जिसके नष्टीकरण की कार्रवाई चल रही है. किसी तरह ये मिस फायर होकर गांव के करीब खेत में जा गिरा, जिसकी हमें गांव वालों से मिली तो तत्काल BDS की टीम और पुलिस की टीम भेजकर उसको नष्ट कराया गया है.

उन्होंने कहा कि इस मामले में जांच टीम गठित की गई. उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए बताया कि ये किसी प्रकार का विस्फोटक नहीं है. केवल सिग्नल देने के उपयोग में आने वाला इल्युमीनेटिंग सेल है.

रोशनी के लिए किया जाता है पैरा सेल का उपयोग
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि, इस पैरा सेल का इस्तेमाल रोशनी के लिए किया जाता है. जवान जब भी सर्चिंग के लिए निकलते हैं तो अपने पास पैरा बम भी रखते हैं. यह खतरनाक नहीं है. मुठभेड़ के दौरान इस बम को आसमान में छोड़ा जाता है. आसमान में कुछ मीटर की दूरी जाकर यह फटता है. जिससे निकलने वाली रोशनी काफी तेज और बहुत दूर तक फैलती है.

छिपे हुए दुश्मनों को आसानी से देखा जा सकता है. लेकिन, इस बम का इस्तेमाल बस्तर के जंगलों में ज्यादा नहीं हो पाता, क्योंकि यहां घने जंगल और झाड़ियां हैं. इस लिए बस्तर में यह कारगर साबित नहीं हो पाता. इसका ज्यादातर इस्तेमाल खुले मैदान वाले इलाके में किया जाता है.