रायपुर। छत्तीसगढ़ में संचालित शक्कर कारखानों के बार-बार घाटे में चलने की वजह से सूबे के मुखिया भूपेश नाराज दिखे. बघेल ने इन कारखानों के घाटे में संचालित कारणों को लेकर विभाग की समीक्षा बैठक लेते हुए जवाबदेही और मितव्ययिता के निर्देश दिए है. इसके साथ ही कारखानों में आवश्यकता से अधिक श्रमिकों को रखने पर सवाल भी उठाए हैं.

राज्य में चार शक्कर कारखाना संचालित है. कवर्धा, कबीरधाम, सुरजपूर और बालोद जिले में संचालित सहकारी शक्कर कारखाना पिछले कई सालों से घाटे में चल रही है. इसे लेकर 3 मई को मुख्यमंत्री ने विभाग की समीक्षा बैठक में कारखानों के हानि में संचालित होने पर असंतोष व्यक्त किया था. साथ ही कारखानों के वित्तीय हानि के कारणों पर विस्तृत प्रतिवेदन और हानि से ऊबरने की कार्य योजना प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं और प्रतिवेदन 15 दिन के भीतर प्रेषित करने को कहा है.

इन 6 बिन्दुओं पर मांगा गया जवाब

  • कारखानों का शक्कर उत्पादन लागत शक्कर के विकय मूल्य से हमेशा अधिक रहा है. उत्पादन लागत अधिक होने के क्या कारण हैं? उत्पादन लागत कम करने के लिए इन कारखानों के प्रबंध संचालकों द्वारा क्या कार्यवाही की गई है ?
  • कारखानों में कर्मचारियों एवं श्रमिकों की संख्या आवश्यकता से अधिक नियुक्त क्यों की गई है ? इसके लिए कौन जिम्मेदार है ? शक्कर कारखानों के प्रबंध संचालकों द्वारा स्थापना व्यय कम करने के लिए क्या क्या प्रयास किये गये हैं ?
  • शक्कर कारखानों के प्रबंधन द्वारा भारत सरकार से विक्रय के लिए प्राप्त आवंटन कोटे का विकय निर्धारित समय-सीमा में की गई है अथवा नहीं ? यदि नहीं तो, इसके लिए कौन जिम्मेदार ?
  • सहकारी शक्कर कारखानों द्वारा आवंटित निर्यात कोटे का शक्कर विक्रय निर्धारित समयावधि में की गई अथवा नहीं ? यदि नहीं तो. इसके लिए संबंधित जिम्मेदार अधिकारी के विरूद्व आवश्यक कार्यवाही के लिए प्रस्ताव प्रेषित किया जाये.
  • सहकारी शक्कर कारखानों का वैधानिक अंकेक्षण पूर्ण कर ली गई है ? यदि नहीं तो, इसके लिए कौन जिम्मेदार है ?
  • सहकारी शक्कर कारखानों के वित्तीय हानि को दूर करने के उपायों पर विस्तृत प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाए.