रायपुर। आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी 93 साल के हो गए हैं. मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन के मौके पर उन्हें शुभकामनाएं दीं और लिखा कि ”हर भारतीय के आदर्श, पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेयी जी को जन्मदिवस और सुशासन दिवस की सादर बधाई और अभिनन्दन. उनकी यह पंक्तियाँ मुझे हर परिस्थिति में उत्साह के साथ सतत आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं”.

डॉ रमन सिंह ने फेसबुक पर वाजपेयी का एक वीडियो भी पोस्ट किया, जिसमें वे ”हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा”, कविता बोलते नज़र आ रहे हैं.

अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में खास बातें

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 25 दिसम्बर 1924 को हुआ था. उनके पिता कृष्ण बिहारी बाजपेयी शिक्षक थे. उनकी मां का नाम कृष्णा था. हालांकि उन्होंने लखनऊ को कर्मभूमि बनाया. लखनऊ से अटल बिहारी वाजपेयी साल 1991, 1996, 1998, 1999, 2004 में सांसद रहे.

1996 में उनकी सरकार सिर्फ एक मत से गिर गई और उन्हें प्रधानमंत्री का पद छोड़ना पड़ा. केवल 13 दिनों तक उनकी सरकार रही. बाद में वे विपक्ष में रहे. इसके बाद हुए चुनाव में वो दोबारा प्रधानमंत्री बने.

अटल बिहारी वाजपेयी ने सबसे पहले 1955 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा. लेकिन इसमें वे हार गए. बाद में वे 1957 में गोंडा की बलरामपुर सीट से जनसंघ उम्मीदवार के रूप में जीत कर लोकसभा पहुंचे.

मोरारजी देसाई की सरकार में अटल विदेश मंत्री बने. उन्होंने विदेश नीति को बुलंदियों पर पहुंचाया. बाद में 1980 में जनता पार्टी से नाराज होकर पार्टी का दामन छोड़ दिया. इसके बाद बनी भारतीय जनता पार्टी के संस्थापकों में वे एक थे. उसी साल उन्हें भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष की कमान सौंपी गयी. 1986 तक उन्होंने भाजपा अध्यक्ष पद संभाला.

इंदिरा गांधी को उन्होंने दुर्गा की उपाधि दी थी. उन्होंने 1975 में लगाए गए आपातकाल का विरोध किया, लेकिन बांग्लादेश के निर्माण में इंदिरा गांधी की भूमिका को सराहा था.

1998 में परमाणु परीक्षण

अटल जी ने लालबहादुर शास्त्री जी की तरफ से दिए गए नारे जय जवान जय किसान में अलग से जय विज्ञान भी जोड़ा. उनकी सरकार में राजस्थान के पोखरण में 1998 में परमाणु परीक्षण हुआ. इस परीक्षण के बाद अमेरिका समेत कई देशों ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया था. उनके प्रधानमंत्रित्व काल में करगिल युद्ध हुआ, जिसमें पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी.