राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। आज महानवमी के अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने सिंगल क्लिक के माध्यम से ‘लाड़ली लक्ष्मी उत्सव’ के अंतर्गत प्रदेश की 21,550 लाड़लियों के खातों में 5.99 करोड़ रुपए की छात्रवृत्ति का वितरण किया. जहां उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि आज मुझे कहते हुए खुशी है कि हमने लाड़लियों के कल्याण के लिए 47 हजार 200 करोड़ रुपए सुरक्षित रख दिए हैं, जो समय-समय पर इन्हें मिलना है. भाव यही था कि बेटियां बोझ न बनें, वरदान बन जाएं. यह केवल योजना नहीं है, समाज की दृष्टि बदलने का प्रयास है.
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री का बड़ा बयान भी सामने आया. जहां उन्होंने कहा कि मैं परमानेंट मामा हूं. अगर और कुछ मन में आता है तो सरकार को सजेशन दो. उस बारे में भी सोचेंगे. अनाथ बेटियों को लाड़ली लक्ष्मी माना जाएगा. तुम्हारी शादी भी यही मामा करेगा. इसके लिए कानून बनाएंगे ताकि भविष्य में कोई इसे बदल न पाए.
शिवराज सिंह ने कहा कि बेटियों की शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य, सुविधा, स्वावलंबन, समृद्धि और उनका सम्मान ही हमारी प्राथमिकता है. यह केवल मामा की नहीं, पूरे समाज की जिम्मेदारी है. नारी तुम केवल श्रद्धा हो, यह भाव अगर मजबूत होगा तो निश्चित तौर पर देश आगे बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि यह योजना ऐसी मिसाल बन जाए कि पूरी दुनिया इस रास्ते पर चलकर बेटियों के सशक्तिकरण के लिए कार्य करे. बेटियां लगातार आगे बढ़ती रहें, इसी में देश की प्रगति और विकास है, इसी में समाज का सशक्तिकरण है.
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हम यह तय कर रहे हैं कि ऐसी बेटियां भी, जिन्हें कहीं कोई छोड़ गया या जिनका कोई नहीं है, उन्हें भी लाड़ली लक्ष्मी माना जाएगा और लाड़ली लक्ष्मी योजना का लाभ दिया जाएगा. हमने लाड़ली लक्ष्मी क़ानून बना दिया है,जिसे कोई नहीं बदल पाएगा और आपका भविष्य उज्जवल रहेगा.
संबोधन में शिवराज सिंह ने माता-पिता से आग्रह करते हुए कहा कि बेटियों पर दबाव मत डालना कि यह बनो या वह बनो. वह जो बनना चाहें, उन्हें बनने देना. ये बेटियां बहुत ऊपर जाएंगी और प्रदेश का और आपका भी नाम रोशन करेंगी. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बनते ही मैंने अफसरों से कहा कि ऐसी योजना बनाएं कि बेटियां जब पैदा हों तो लखपति पैदा हों. बहुत एक्सरसाइज करने के बाद लाड़ली लक्ष्मी योजना बनी.
शिवराज सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि एक तरफ मां-बहन और बेटियों के सम्मान की पराकाष्ठा है. दूसरी तरफ इनके साथ भेदभाव भी देखते हैं, जो मन को पीड़ा देता है. भारतीय संस्कृति में तो मां-बहन और बेटियों को उच्च स्थान दिया गया है. कहते हैं जहां महिलाओं का सम्मान होता है, वहां भगवान निवास करते हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब छोटा था तब देखता था. खुद मां बेटे को अधिक प्यार करती थी और बेटी को कम करती थी. ये भेदभाव समाज में था. जबकि भारतीय संस्कृति में बेटियों को अधिक सम्मान दिया गया है. तब सोचता था वो दिन कब आएगा जब ये भेद खत्म हो जाएगा.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा घोषणा करते हुए कहा कि जल्द नई लाड़ली लक्ष्मी योजना आएगी. कॉलेज में एडमिशन लेने पर 25 हजार रुपए दिए जाएंगे. शिक्षा का बेहतर प्रबंध करने पर मंथन हो रहा है. हर साल राज्य से लेकर ग्राम पंचायत स्तर तक लाड़ली लक्ष्मी उत्सव मनाया जाएगा. जन्म होते ही लाड़ली लक्ष्मी योजना का प्रमाणपत्र देंगे. बेटियों का अनुपात बढ़ने पर लाड़ली लक्ष्मी फ्रेंडली गांव घोषित करेंगे. निःशुल्क करियर काउंसलिंग की व्यवस्था रहेगी.
बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार की बेटियों के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं हैं. किसी भी सरकारी कार्यक्रम की कन्या पूजन से शुरुआत होती है. वहीं बेटियों से दुष्कर्म करने वाले को फांसी की सजा देने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है. बेटियों के अपहरण और उनके गायब होने की घटनाओं के लिए मुस्कान अभियान चलाया गया. अभियान के तहत 10 हजार से अधिक बेटियों को छुड़ाया गया. बहन-बेटियों को बुरी नजर से देखने वालों को सबक सिखाने के लिए और समाज में जागरूकता लाने के लिए सम्मान अभियान चलाया गया.
किशोरियों की सुरक्षा, पोषण, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता की जागरूकता के लिए पंख अभियान, 311 विकासखण्डों के विद्यालयों में बालिकाओं को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देने के लिए अपराजिता प्रशिक्षण शिविर का आयोजन. 23 हजार बालिकाओं को जूडो-कराटे, ताईक्वाण्डो का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
लाड़ली लक्ष्मी योजना की अब तक की उपलब्धियां
प्रत्येक लाड़ली बालिका के नाम से 1 लाख 18 हजार रुपए का प्रमाण पत्र जारी किया जाता है. अब तक योजना में लगभग 9 हजार करोड़ का व्यय हुआ. अब तक 40 लाख से अधिक बालिकाओं का पंजीयन हो चुका हैं. 6 लाख 62 हजार बालिकाओं को 185 करोड़ रुपए की छात्रवृत्ति का वितरण पहले हो चुका है. बीते 6 माह में 1 लाख 31 हजार नई बालिकाओं का पंजीयन हुआ है.