रायपुर. गांधी जी कहते थे कि स्वराज हस्तकला के विकास और ग्रामीण उत्पादन की व्यवस्था से बनता है. नागालैंड के अलावादी नेता फीजो जब गांधी जी के पास अपनी शिकायत लेकर आए तो गांधी जी ने कहा था कि यदि तुम सचमुच स्वंतत्र होना चाहते हो तो सेवाग्राम में कुटीर उद्योगों का प्रशिक्षण प्राप्त करो. जहां भी हस्तकलाओं और कुटीर उद्योगों पर विकास का कार्यक्रम होता है हम ये मान सकते हैं कि इसमें गांधी जी की इच्छा शामिल है. मुरैना में जन्म बढ़े भूपेश तिवारी के काम में भी ये छाप दिखती है. जो तीन दशक से बस्तर के कोंडागांव में कारीगरों को मज़बूत करने का काम कर रहे हैं.

कोंडागांव के भूपेश तिवारी अपने साथियों के साथ वहां के लोगों की ज़िंदगी बदलने का काम पिछले 33 सालों से कर रहे हैं. इस दौरान भूपेश तिवारी ने अपनी संस्था के ज़रिए ग्रामीणों के शिल्पकला को विकसित और आधुनिक बनाया है. साथ ही उन्होंने ग्रामीणों की शिक्षा, संस्कार के लिए निरंतर कार्य किया. गांव के शिल्पकारों, ग्रामीणों चित्रकारों की कृतियों को सामने लाने और मार्केटिंग करने में भूपेश तिवारी का बड़ा योगदान है. आज इस संस्था के 14 से अधिक शाखाएं है और इस संस्था के माध्यम से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से हजारों शिल्पकारों, कुम्हारों, ग्राम्य चित्रकारों को रोजगार एवं रोजी रोटी का जरिया मिला हुआ है.

भूपेश तिवारी का कहना है कि वह गांधी जी के साथ तो नहीं रहे लेकिन गांधी जी के साथ रहने वाले सुब्बाराव के शिष्य थे और उन्हीं से उनको प्रेरणा मिली और वे गांधी जी की विचारधाराओं पर चलते हुए सेवा भाव में जुट गए. वे 26 दिसंबर 1988 में दो साथियों भूपेन्द्र बन्छोर और हरिलाल भारद्वाज के साथ कोंडागांव आए. मंशा थी कुछ करने की. शुरु में  कुम्हारपारा ग्राम में डेरा डाला और मृदा शिल्प कला को जानने समझने की शुरूआत की. शुरुआत में  ग्रामवासियों के हर सुख दुख में उनके व्यवसायिक क्रियाकलापों में सहायता करके उनका विश्वास जीता. भूपेश तिवारी सिरेमिक डिप्लोमा इंजीनियर थे, उन्होंने बस्तर अंचल में कुम्हारों की कला प्रतिभा को पहचाना और उन्हें इस क्षेत्र में नई टेक्नोलॉजी और मार्केटिंग से जोड़ने की शुरूआत की.

साथी समाजसेवी संस्था के भूपेश तिवारी के प्रतिनिधित्व में बस्तर के एक दर्जन से अधिक शिल्पकार विदेशों का भ्रमण कर अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके हैं, उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर तो अपना नाम कमाया है. आज पूरे भारत में एवं पूरे विश्व में कोण्डागांव की साथी समाजसेवी संस्था की कला प्रतिभा से लोग वाकिफ हैं और इस संस्था से जुड़े कलाकारों की प्रतिभा तो निखर ही रही है. साथ ही उनके द्वारा रचित कलात्मक वस्तुओं को मांग देश विदेश में बढ़ रही है.

इन क्षेत्र के ग्रामीण अपने जीविका को इन तीनों युवकों के जरिए ही मजबूत किया है यही वजह है कि आज भी उनसे प्रशिक्षण लिए कुम्हारों की महीने के इनकम बढ़ चुकी है लगभग 5 हजार से 1 लाख तक इनकी आए हो जाती है और यह कुम्हार भूपेश तिवारी को अपने व्यापार सफल बनाने का श्रेय देते हैं.

भूपेश तिवारी और उनके साथियों के काम ने ग्रामीण पर्यटन एवं शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है. बाइक एंबुलेंस की शुरुआत कोंडागांव जिले से भूपेश तिवारी के द्वारा किया गया था. कोरोना के दौरान भी इनका योगदान अद्वितीय था.