रायपुर. झीरमघाटी नक्सल हमले को लेकर सियासत अब एक बार फिर उफान पर है. पीसीसी चीफ भूपेश बघेल ने जहां, घटना को रमन का ब्रम्हास्त्र करार दिया है, तो पलटवार करते हुए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने इसे कांग्रेस की अंतर्कलह औऱ वर्चस्व की लड़ाई का नतीजा बताया है. इन तमाम बयानों के बीच कांग्रेस प्रवक्ता आर पी सिंह ने कहा है कि- धरमलाल कौशिक का बयान यह बताता है कि इस प्रदेश में अगर किसी व्यक्ति को झीरम घटना की पूरी जानकारी है, तो वह खुद कौशिक हैं. अन्यथा वह बताए कि उनके इस बयान का आधार क्या है.

आर पी सिंह ने कहा कि झीरम घाटी नक्सल हमले को लेकर पीड़ितजनों की बार-बार की गई मांग के बावजूद सरकार ने सीबीआई जांच नहीं कराई. विधानसभा में सीबीआई जांच की घोषणा के बाद सरकार मुकर गई, जबकि कांग्रेस ने इस घटना के बाद राज्यपाल को सौंपे गए ज्ञापन में साफ-साफ लिखा था यह एक आपराधिक राजनीतिक षडयंत्र है, जिसकी होनी चाहिए. आर पी सिंह ने कहा कि कौशिक के बयान से यह पूर्ण रूप से साबित हो जाता है कि झीरम घाटी कांड में यह सरकार कहीं ना कहीं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल रही है.

इधर कांग्रेस मीडिया विभाग के सचिव सुशील आनंद शुक्ला ने कहा है कि यदि धरमलाल कौशिक के पास घटना को लेकर किसी तरह की जानकारी है, तो उसे झीरम न्यायिक जांच आयोग के सामने पेश क्यों नहीं किया? प्रदेश के सबसे दुर्दांत और क्रुर नर संहार के संबंध में इतनी महत्वपूर्ण जानकारी को आखिर क्यों छिपा कर रखा गया है? शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस के द्वारा निकाली गई पदयात्रा घोर नक्सल क्षेत्रो से गुजरने वाली थी ,इस यात्रा में कांग्रेस का लगभग पूरा शीर्ष नेतृत्व शामिल होने वाला था यात्रा में नक्सलियों की हिटलिस्ट में शामिल उच्च सुरक्षा  प्राप्त महेंद्र कर्मा ,नन्दकुमार पटेल,विद्याचरण शुक्ल जैसे नेता भी थे, इसके बावजूद सुरक्षा में कोताही क्यों बरती गई ? उन्होंने सवाल पूछा है कि कौशिक जरा ये भी बताये की कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा की सुरक्षा को किसके इशारे पर कम किया गया था ?  यात्रा का मार्ग परिवर्तन की अफवाह किसने उड़ाई ?  छत्तीसगढ़ की जनता झीरम के मामलों की बहुत से अनुत्तरित सवालों का जबाब चाहती है बीजेपी और बीजेपी की सरकार इन सवालों के देने से बच नही सकती