नई दिल्ली. लोकतंत्र में एक-एक वोट की कितनी अहमियत है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कांग्रेस के एक प्रत्याशी को महज तीन वोटों ने विधायक बनते-बनते रोक दिया. मामला मिजोरम का है, यहां मिजो नेशनल फ्रंट के उम्मीदवार ललछनदामा राल्ते ने कांग्रेस के आर.एल. पियनमाविया को महज तीन मतों से हरा दिया. इससे पहले साल 2013 के विधानसभा चुनाव में पियनमाविया 1371 मतों के अंतर से जीते थे.

मिजोरम में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है. खुद मुख्यमंत्री लल थनहावला दोनों सीटों से हार गए हैं. मिजोरम में हारने के साथ ही कांग्रेस पूर्वोत्तर राज्यों से सत्ता से बाहर हो गई है. करीब 10 साल बाद मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) ने सत्ता में वापसी की है. प्रदेश की 40 सदस्यीय विधानसभा में एमएनएफ ने 26 सीटें जीती हैं. कांग्रेस के हिस्से में 5 जबकि भाजपा को 1 ही सीट पर जीत मिली है. इसके अलावा 8 निर्दलीय उम्मीदवार जीते हैं.

मिजोरम विधानसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो दिलचस्प आंकड़ें सामने आते हैं. यहां दो और उम्मीदवार 100 से भी कम वोट के अंतर से हारे हैं. मिजो नेशनल फ्रंट के लावमावमा टोचांग ने निर्दलीय उम्मीदवार लालरिनपुई को 72 मतों से पराजित किया. इसी तरह मिजो नेशनल फ्रंट के सी. लालरिनसांगा ने कांग्रेस के चालरोसांगा राल्ते को 77 मतों से पराजित किया.