रायपुर- कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि अधिसूचित इलाकों के लिए कानून में संशोधन का वास्तविक अधिकार राज्यपाल के पास हैं, तो फिर किस आधार पर राज्य सरकार ने भू -राजस्व संहिता में संशोधन कर आदिवासियों की जमीन सहमति से खरीदे जाने का प्रावधान जोड़ दिया. कानून में संशोधन के पहले राज्यपाल की ओर से नोटिफिकेशन भी जारी नहीं किया गया.  आदिवासी कांग्रेस के अध्यक्ष पूर्व आईएएस शिशुपाल सोरी, विधायक मोहन मरकाम और संतराम नेताम ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में आरोप लगाया कि- पिछले दरवाजे से सरकार बड़े उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाना चाहती हैं, यही वजह है कि भू राजस्व संहिता में संशोधन कर यह नियम बना दिया गया कि आदिवासियों की समहति से सरकार जमीन खरीद सकेगी.

शिशुपाल सोरी ने कहा कि भू राजस्व संहिता की धारा – 165(6) आदिवासियों की जमीन के अंतरण को लेकर है. इस प्रावधान के तहत गैर आदिवासी को जमीन का अंतरण नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि आदिवासियों के लिए जल, जंगल और जमीन केवल वस्तु नहीं है, बल्कि उनकी संस्कृति का अहम हिस्सा है. उन्होंने कहा कि अगर ये तीनों नहीं होंगे, तो आदिवासियों का अस्तित्व भी नहीं रहेगा. उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी ये सर्वमान्य कानून है. सोरी ने कहा कि जब तक आदिवासी सलाहकार समिति में परामर्श नहीं हो जाता, तब तक संशोधन के गुण-दोषों पर चर्चा नहीं हो जाती, तब तक इस पर कोई फैसला नहीं हो सकता. संविधान में भी इसे प्रतिबंधित किया गया है और यह संविधान में धारा- 144 में निहित है. उन्होंने कहा कि कानून में जो संशोधन किया गया है, उसमें कहा गया है कि सरकार समय-समय पर जो क्रय नियम लाएगी, उस पर आदिवासी क्षेत्रों में धारा 165 (6) लागू नहीं होगी, यही सबसे खतरनाक पहलू है. सोरी ने कहा कि कानून में किया गया संशोधन संविधान के खिलाफ है.

आदिवासी विकास विरोधी नहीं हैं- कांग्रेस

शिशुपाल सोरी ने कहा कि हम आदिवासी हैं, लेकिन हम विकास विरोधी नहीं है. भू-अर्जन कानून की व्यवस्था पहले से की गई है. ऐसे में संशोधित कानून की जरूरत नहीं थी. उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा साफ है कि आदिवासियों की जमीन लेकर बड़े उद्योगपतियों को दे दिया जाए. संशोधित कानून में इस बात का जिक्र नहीं किया गया है कि जमीन का उपयोग स्कूल बनाने, अस्पताल बनाने में किया जाएगा.

हमने बिल सलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग की थी- मोहन मरकाम

कांग्रेस विधायक मोहन मरकाम ने कहा कि विधानसभा में इस बिल पर हमने गंभीरता से चर्चा की थी. उन्होंने आरोप लगाया कि रमन सरकार ने पिछले दरवाजे से उद्योपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए ये बिल लाया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने मांग की थी कि इस बिल को सलेक्ट कमेटी को भेजा जाए, लेकिन बहुमत के जरिए सरकार ने इस बिल को पारित कर दिया.  मरकाम ने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में जो खनिज-संपदा है, उसे उद्योगपतियों को देने के लिए इस कानून को लाया गया है. उन्होंने कहा कि नगरनार, लोहंडीगुड़ा में प्लांट के लिए हमने भी जमीनें दी थीं, लेकिन क्या हुआ. सरकार ने नौकरी देने का वादा आदिवासियों से किया था, लेकिन आज तक एक भी आदिवासी को नौकरी नहीं दी गई. मरकाम ने कहा कि हम संशोधित कानून को लेकर आदिवासी क्षेत्रों में लगातार विरोध कर रहे हैं और जनजागरण अभियान चला रहे हैं.

गौरतलब है कि कल सरकार के चार मंत्रियों ने भी भू-राजस्व संहिता संशोधन विधेयक को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. सरकार ने कांग्रेस पर आदिवासियों को भ्रमित करने का आरोप  लगाया था, जिसका पलटवार आज कांग्रेस कर रही है.