रायपुर. कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में मंच पर हालात कुछ-कुछ डिबेट जैसे बन गए. एक तरफ संघ की पृष्ठभूमि से आने वाली राज्यपाल आनंदी बेन पटेल थीं. तो दूसरी तरफ लोकतांत्रिक सोच वाले गांधीवादी विचारधारा वाले वरिष्ठ पत्रकार. मुद्दा था- भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान में किया गया एयरस्ट्राइक.
ओम थानवी ने अपने भाषण में आज के हालात पर मीडिया की भूमिका पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में हुए एयर स्ट्राइक में 300 का जो आंकड़ा दिया गया है. वो गैर तथ्यात्मक था. ये आंकड़े कहां से आए. उन्होंने कहा कि मीडिया ने पूरी तरह से इस दौरान गैर जिम्मेदाराना रवैया अख्तियार किया. उन्होंने कहा कि मौजूदा मीडिया मनगढ़ंत और भड़काऊ भाषण देने में लगा हुआ है. ओम थानवी ने कहा कि मीडिया में एंकर सैनिकों की वेषभूषा में आकर युद्धोन्माद फैलाने में लगा रहा. जबकि मीडिया का काम शांति और धर्य का है.
थानवी ने कहा कि आज की पत्रकारिता खोजबीन से बचती है. गहराई में नहीं जाती. मीडिया का काम सिर्फ़ सूचना या जानकारी देना नहीं है. मीडिया का काम, इससे कहीं आगे जाकर समझ का साझा करना है. इसीलिए इस पेशे में पढ़े-लिखे और दृष्टि-सम्पन्न सम्पादकों-पत्रकारों की अपेक्षा की जाती रही है जो एक विवेकशील समाज की रचना में योगदान दें. इस प्रक्रिया के प्रमुख भागीदार बनें. लेकिन अगर ऐसे लोग पत्रकारिता के पेशे में कम आते हैं, या अपना ज़िम्मा समाज-रचना से जोड़कर नहीं देखते तो इस स्थिति का लाभ क्या वहीं लोग नहीं लेंगे जो अपने हितों के लिए समाज के विरुद्ध चलते हैं.
लेकिन इस पर जब बोलने की बारी राज्यपाल आनंदी बेन पटेल की आई तो उन्होंने इसका जवाब दिया. उन्होंने कहा कि 300 मारे जाने की बात न सरकार की तरफ से बोली गई है न ही सैनिकों की तरफ से. उन्होंने कहा कि प्रिन्ट मीडिया के साथ-साथ इलेक्ट्रानिक मीडिया को बेहतर कन्टेन्ट के साथ सामाजिक सारोकार की खबरों पर भी पकड़ मजबूत करने की जरूरत है.
स्कूली बच्चों के मसले पर भी सवाल-जवाब
कायक्रम में खासतौर से स्कूली स्कूली बच्चों व महिला स्वसहायता समूह को आमंत्रित किया गया था. ओम थानवी ने अपने भाषण में कहा कि बच्चे सामने हैं. उनको वालेंटियर देखें. इशारों ही इशारों में उन्होंने स्कूली बच्चों के एक गंभीर कार्यक्रम में शामिल होने पर सवाल उठाए. जब वे मंच पर थे. तो उन्होंने ये जानकारी हासिल की कि ये बच्चे इस कार्यक्रम में कैसे आए. आयोजकों ने बताया कि ये बच्चे राज्यपाल की तरफ से बुलाए गए हैं.
कार्यक्रम में राज्यपाल ने बताया कि उन्होंने बच्चों को क्यों बुलाया. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक कार्यक्रम का उदाहरण दिया. उन्होंने बताया कि मोदी ने कार्यक्रम से पहले बता दिया था कि उनके 50 मेहमानों के लिए जगह रखी जाए. कार्यक्रम में ये 50 मेहमान स्कूल के बच्चे थे. तब मोदी ने बताया था कि स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे जब ऐसे कार्यक्रम में पहुंचते हैं तो उन्हें ऐसे ही कार्यक्रमों में शरीक होने की प्रेरणा मिलती है.
हालांकि सुबह से आए बच्चों ने ये शिकायत की कि उन्हें मंच से फल मिला. लेकिन खाने और पानी का कोई इंतज़ाम नहीं था. उनकी कोई पूछ परख नहीं थी. बच्चे इस बात से नाराज़ थे कि परीक्षा के महीनों में उन्हें लंबे समय तक बिठा लिया गया.
चार शोधार्थियों को मिली पी.एच-डी. की उपाधि – दीक्षांत समारोह में चार शोधार्थियों को पी.एच-डी. की उपाधि प्रदान की । पी.एच-डी. की उपाधि प्राप्त करने वालों में विश्वविद्यालय के नृपेन्द्र कुमार शर्मा, संजय कुमार, राकेश कुमार पाण्डेय एवं राजेश कुमार शामिल हैं।
नौ विद्यार्थियों को मिले स्वर्ण पदक – सत्र 2018 की प्रावीण्य सूची में विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली कु. गीतिका ब्रह्मभट्ट (एम.ए.-एमसी), कु. निशा ठाकुर (एम.एस.डब्ल्यू.), कु. निधि भारद्वाज(बी.ए.- जेएमसी), कु. खुशबू सोनी (एम.एससी.- ईएम), कु. मोनिका दुबे (बी.एस-सी. – ईएम), रजत वाधवानी (एम.जे.), कु. शुभांगी खंडेलवाल (एम.ए.- एपीआर), कु. सुरभि अग्रवाल (एम.बी.ए.- एचआरडी) एवं कु. ज्योति वर्मा (एम.बी.ए. – एचए) को विश्वविद्यालय का स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। साथ ही प्रावीण्य सूची में द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को प्रावीण्य प्रमाणपत्र प्रदान किए गए. इस बार कुल 259 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गई.