नई दिल्ली. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने मंगलवार को कहा कि भारत को इस समय बूस्टर को लेकर एक बड़ा बयान दिया है. डॉ गुलेरिया ने कहा, “यह संभावना नहीं है कि पहली और दूसरी की तुलना में कोविड-19 की तीसरी लहर भारत में आएगी और समय के साथ महामारी एक स्थानिक रूप ले लेगी. हमें मामले मिलते रहेंगे, लेकिन इसको लेकर गंभीरता बहुत कम हो जाएगी” उन्होंने कहा कि अभी बूस्टर खुराक की जरूरत नहीं है. गुलेरिया ने कहा कि इस समय ऐसे मामलों में कोई उछाल नहीं आया है, जिससे पता चलता है कि टीके अभी भी कोरोनावायरस से बचाव कर रहे हैं.

डॉ गुलेरिया एक पुस्तक ‘गोइंग वायरल : मेकिंग ऑफ कोवैक्सीन- द इनसाइड स्टोरी’ के विमोचन अवसर पर बोल रहे थे. यह किताब भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने लिखी है.

एम्स निदेशक ने कहा कि जब एच1एन1 भारत में आया था, तब विदेशों से टीकों का आयात किया जाता था. टीकों के आयात से लेकर अपने स्वदेशी टीके के निर्माण तक, हमने एक लंबा सफर तय किया है. आज, हमारे कोविड के टीके दूसरे देशों में निर्यात किए जा रहे हैं. कोविड बूस्टर डोज की जरूरत पर नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी.के. पॉल ने कहा कि तीसरी खुराक का फैसला विज्ञान पर आधारित होना चाहिए.

‘गोइंग वायरल..’ पुस्तक पाठकों को भारत की पहली स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन विकसित करने की यात्रा के माध्यम से ले जाने का एक प्रयास है. अपनी पुस्तक के बारे में बात करते हुए, डॉ. भार्गव ने कहा, “भारत की स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन का विकास विश्वास और पारदर्शिता के साथ चिह्न्ति सार्वजनिक निजी-साझेदारी का एक सच्चा उदाहरण है.”

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