रिपोर्ट/शिव यादव/दोरनापाल: राखी के पावन अवसर पर जब हर बहन अपने भाई के कलाई पर राखी बांधती है। तब उन शहीद भाई के बहनों को भी कुछ कमी महसूस होती है। मगर सोचो जब क्षेत्र की रक्षा कर रहे और भाई उस बहन के समझ राखी बंधवाने पहुच जाए तो उन बहनों के दिल को कितना सुकून मिला होगा। रक्षा बंधन के इस पुनीत अवसर पर पुलिस अनुविभागीय अधिकारी-सुकमा रामगोपाल करियारे अपने थाना प्रभारी केशव आदित्य, गगन बाजपेयी, एवं पुलिस स्टाफ सुकमा के साथ देश के लिए सर्वस्व समर्पित करने वाले वीर सपूत अमर शहीदों के घर उनकी बहनों और परिजनों से रक्षा सूत्र बंधवाने पहुंचे। सभी शहीद परिवार अपने-अपने घर में इस त्यौहार की हर्ष मना रहे थे लेकिन कहीं न कहीं वतन को समर्पित अपने जाबाज वीरों को खोने की खलिस याद आ ही रही थी ऐसे में पुलिस विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को रक्षा सूत्र के धागे और उपहार के साथ अपने घर की ड्योढ़ी में खड़े पाकर स्नेह और श्रद्धा से देश सेवा के लिए शहीद हुए अपने भाई व अन्य पारिवारिक रिश्ते के रूप में उन्हें याद करते शहीद परिवार के माताओं, बहनों और बच्चियों ने घर पहुंचे सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को राखी बांधकर आशीर्वाद दिए और मिठाईयां खिलाई।

इस अवसर पर पुलिस अनुभाग सुकमा की ओर से शहीद परिवार को मिठाईयां और उपहार भेट कर परिवार की कुशल क्षेम पूछी गयी और आश्वासन दिया गया कि पुलिस विभाग अपने जाबाज शहीदों के परिवार के हर सुखदुख में साथ है और किसी भी विपरीत परिस्थिति में सेवा हेतु परिवार के साथ खड़ी रहेगी। बहनों का प्यार पाकर हर जवान घर से दूर अपनों की याद की भरपाई करती रक्षा सूत्र बंधवाते स्नेहमयी भावनाओं से ओतप्रोत रहे।

रक्षा बंधन के पावन अवसर पर पुलिस अनुविभाग सुकमा जिला प्रशासन द्वारा संचालित दिव्यांग स्कूल आकार पहुंच कर ईश्वर और प्रकृति की नैसर्गिक मानवीय संरचना व परिस्थितिजन्य दिव्यांगता से साक्षात्कार होते हुए उन्हें अपने सजग ज्ञानेंद्रियों से देश की राष्ट्र निर्माता बनकर भविष्य में बुलंदियों को छूने की साहस रखने की अपील किये और उनका हालचाल जानकर कर प्रशासन की ओर से विशेषज्ञ डॉक्टरों से मिलकर कायिक असमानताओं को दूर करने का भी आश्वासन दिया गया। बच्चे अपने बीच पुलिस विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को पाकर राखी बांधते बहुत ही प्रफुल्लित और आनंदित थे उन्होंने मिठाईयां और उपहार पाकर हमारे लिए गाने गाए तो कइयों ने अपने अन्य प्रतिभाओं का प्रदर्शन किया।

इसी क्रम में पुलिस अनुविभाग सुकमा अत्यंत नक्सल प्रभावित ग्राम्य बच्चों हेतु संचालित 1000 सीटर ज्ञानोदय आवासीय विद्यालय पहुंचकर उपहार और रक्षा सूत्र  भेट कर स्कूल में वितरित की गई और उनसे रक्षासूत्र धारण कर किसी भी परिस्थिति पर पुलिस विभाग सुकमा को याद करने के लिए कहा गया और हर पर परिस्थिती में सहयोग की आश्वासन दिए गए। सभी बच्चे मिठाईयां और फुग्गे तथा अन्य उपहार पाकर खुशियों से फुले नही समा रहे थे।

राज्य के दक्षिण छोर सुदूर अति संवेदनशील और अत्यंत नक्सल प्रभावित क्षेत्र सुकमा जहां अधिकांश सुरक्षा सेवा में सेवाधीन अधिकारी व कर्मचारी अपने घर, परिवार और परिजनों से विलग रहकर ही दिन रात राज्य और देश की सेवा में कर्तव्यशील रहते है। भारत जैसे सांस्कृतिक बहुलता वाला देश जहां मातृत्व, भातृत्व, पितृत्व और अन्य तमाम प्रेम और स्नेह के बंधनों को निरंतर कोई न कोई सांस्कृतिक परंपराओं का आयाम देकर मजबूत आधार दी जाती है लेकिन देश की सेवा में रत हमारे सुरक्षा के जवानों के लिए तीज, त्यौहार और पुण्य पलों पर सुरक्षा की जिम्मेदारी व ड्यूटी की मुस्तैदी और भी बढ़ जाती है।

निश्चय ही ऐसे में सम्पूर्ण राष्ट्र और उसके आराध्य आप सभी देश की हर्षित जनमानस ही फोर्स की पारिवारिक नीरवता को सहज रूप देती है। निसंदेह आम जनता का अटूट प्यार, रक्षासूत्र बांधने वाली देश की बहनों का स्नेह,आशीर्वाद और वर्दी के प्रति सम्मान हमारे जवानों को हर विषम परिस्थिति में देश के लिए अडिग खड़े रहने की साहस देती है तो वक्त पड़ने पर देश सेवा के लिए आत्मोत्सर्ग का गौरव प्राप्त करने की जज्बा । आप सब का आपार स्नेह और आदर ही घर, परिवार व परिजनों के अनुपस्थिति और सीमित छुट्टियों में हमारी पूंजी है।