पंकज भदौरिया, दंतेवाड़ा. स्वच्छ भारत मिशन को पलीता लगाती एक तस्वीर दंतेवाड़ा के पातररास आदर्श आंगनबाड़ी केंद्र से आई है. यहां जिला परियोजना अधिकारी संगीता बिंद ने खुले आसमान के नीचे सिर्फ दो ईंटे और 1 तगाड़ी रेत डालकर शौचालय बना दिया. जिसके बाद परियोजना अधिकारी के इस कृत्य से पूरे मोहल्ले में जबरदस्त आक्रोश है. पास में ही मोहनी पोर्ते नामक महिला का निजी आवास है, महिला ने खुले में बनाये इस नमूने नुमा शौचालय की शिकायत कलेक्टर से लेकर प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत योजना के अधिकारी से की है.
दरअसल, यह आंगनबाड़ी जिला कलेक्ट्रेट से महज 3 किमी की दूरी पर मुख्य मार्ग पर ही बनी है. जिसे विभाग आदर्श आंगनबाड़ी केंद्र पातररास का दर्जा भी दे रखा है. इस केंद्र में 8 बच्चे रोजाना पढ़ने आते हैं, लेकिन जिला मुख्यालय के इतने पास बने आंगनबाड़ी केंद्र में न तो बाउंड्रीवाल है, न ही पानी की सुविधा है, यहां तक कि बच्चों के खेलने का सामान, शौचालय कुछ भी नहीं है. केंद्र का कही पर नाम भी नहीं लिखा गया है. जबकि दंतेवाड़ा जिला स्वच्छ भारत मिशन के तहत अवॉर्ड भी ले चुका है. पर आईसीडीएस दंतेवाड़ा परियोजना की यह आंगनबाड़ी केंद्र सरकार के स्वछता मिशन को पूरी तरह से पलीता लगाती साफतौर पर नज़र आ रही है.
पूरे मामले को लेकर जब जिला परियोजना अधिकारी संगीता बिंद से पक्ष जानना चाहा तो बड़े ही तल्ख तेवर में कहा कि मैं 2 नंबर केंद्र पर निरीक्षण कर रही हूं. जब टॉयलेट स्वीकृत नहीं है तो हम क्या कर सकते हैं. इतना ही नहीं तल्ख तेवर का आलम यह रहा कि परियोजना अधिकारी ने यह तक कह डाला कलेक्टर से बात करो या समेकित बाल विकास योजना (आईसीडीएस) कार्यक्रम अधिकारी से हम क्या कर सकते हैं. अब अंदाज़ा लगाइये जो कनिष्ठ अधिकारी जिले के सर्वोपरि अधिकारी तक को मर्यादित शब्द शैली का इस्तेमाल नहीं कर रहे, उनकी कार्यशैली कितनी उत्कृष्ट होगी. जबकि आदर्श आंगनबाड़ी के मापदंड पर जो आंगनबाड़ी पूरी तरह से बैठती ही नहीं, उसे कागज में विभाग चलवा रहे हैं.
मामले में कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा का कहना है कि जो भी समस्या हो विभाग को पूरी जानकारी मीडिया को देनी चाहिए, और भाषाशैली सही रखना चाहिए. आईसीडीएस की जानकारी आईसीडीएस ही देगी.
आईसीडीएस के जिला कार्यक्रम अधिकारी विजेंदर ठाकुर ने बताया कि ये बिलकुल भी गलत है. खुले में बने शौचालय को तत्काल हटवाया जाएगा. और आखिर केंद्र को आदर्श आंगनबाड़ी की श्रेणी में क्यो रखा गया, इसकी भी जांच होगी. परियोजना अधिकारी से इस पूरे मामले में बात करते हैं.