रायपुर। दंतेवाड़ा जिला के किरंदुल थाना क्षेत्र में गुमियापाल के जंगल में हुई मुठभेड़ मामले में एक नया मोड़ आ गया है. पुलिस ने इस मुठभेड़ में जहाँ दो इनामी नक्सलियों को मार गिराने का दावा किया था अब उसके ठीक उलट सामाजिक कार्यकर्ताओं की टीम इसे फर्जी मुठभेड़ बताया है.  मामले की जाँच के बाद सामाजिक कार्यकर्ताओं की टीम ने कहा है कि गुमियापाल में कोई मुठभेड़ की घटना नहीं हुई, बल्कि गाँव के दो आदिवासियों की पुलिस ने हत्या कर दी है. जाँच दल में सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया, सोनी सोरी सहित अन्य सदस्य शामिल थे. जाँच दल की ओर से एक प्रेस रिपोर्ट जारी किया गया है. इसमें ये तमाम आरोप लगाए गए हैं.

जाँच दल की ओर से जारी प्रेस रिपोर्ट में सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया और अन्य का कहना है, कि पुलिस की ओर से जिन दो आदिवासी पोदिया और लच्छू मंडावी को 5-5 लाख इनामी नक्सली बताया गया वह सरासर झूठ है. वह दोनों गाँव के सक्रिय सदस्य थे, जो सामाजिक मुद्दों पर लड़ रह थे. वे नंदराज पहाड़ को बचाने वाले आंदोलनकारियों में प्रमुख थे. इन्हें नक्सली बताकर मार दिया गया है.


जाँच दल का कहना है, कि उन्होंने गाँव के तीन लोगों से बात की, जो घटना के गवाह हैं. उनके मुताबिक हम पाँच लोग जिसमें पोदिया और लच्छू भी शामिल थे गाँव के नजदीक स्कूल के पास बैठे थे. इस दौरान 15-20 सुरक्षा बल के जवान घुस आए. पुलिस ने वालों मारना-पीटना शुरू कर दिया. वे जंगल की ओर खींचकर ले जाने लगे. इनमें तीन लोग भागने में सफल रहे, जबकि पोदिया और लच्छू को पुलिस वालों ने मार डाला. जाँच दल ने इस पूरे मामले में सरकार से निष्पक्ष जाँच की मांग करते हुए, दोषी पुलिस वालों और इसे नक्सली मुठभेड़ बताने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है.