लेखक- अरुण निगम

आज सुप्रसिद्ध गायक मोहम्मद रफी के पुण्यतिथि हे। छत्तीसगढ़ अउ छत्तीसगढ़ी के संग उनकर मया के नाता रहिस। सन् 1965 मा मोहम्मद रफी के आवाज मा पहिली छत्तीसगढ़ी गीत –

“झमकत नदिया बहिनी लागे परबत मोर मितान”,

फ़िल्म कहि देबे संदेश बर रिकॉर्ड होए रहिस। इही फ़िल्म मा रफी साहेब के आवाज मा दूसर गीत रिकॉर्ड होए रहिस।

“तोर पैरी के झनर झनर, तोर चूरी के खनर खनर”

कहि देबे संदेश फ़िल्म के निर्माता मनु नायक आँय। गीत ला लिखे रहिन हनुमन्त नायडू जी अउ संगीतकार रहिन मलय चक्रवर्ती। ये फ़िल्म 1965 मा रिलीज होइस अउ कहि देबे संदेश के गाना मन जम्मो छत्तीसगढ़ मा धूम मचाइन। 1965 के दौर मा मोहम्मद रफी, गायिकी के सुपर स्टार रहिन। उनकर रेट घलो ज्यादा रहिस। मनु नायक जी जब मलय चक्रवर्ती के संग छत्तीसगढ़ी गीत गाये के अनुरोध कर बर रफी साहेब से संपर्क करके बताइन कि कहि देबे संदेश, छत्तीसगढ़ी भाषा मा पहिली फ़िल्म बनत हे, बजट बहुत छोटकुन हे। अगर आप मोर फ़िल्म मा गाना गाहू त ये आंचलिक भाषा के फ़िल्म ला नवा रद्दा दिखाए खातिर कदम साबित होही। उदार हिरदे के मालिक मो. रफी हाँस के कहिन – आप मन रिकार्डिंग के तैयारी करव, मँय जरूर गाहूँ। स्वीकृति मिले के बाद पहिली गीत के रिकार्डिंग होइस। ये गीत मोहम्मद रफी के गाए पहिली छत्तीसगढ़ी गीत के संगेसंग पहिली छत्तीसगढ़ी फिल्मी गीत बन गिस। तेकर बाद दूसर गीत के रिकार्डिंग होइस। मनु नायक जी अपन बजट के मुताबिक नाम-मात्र राशि के चेक सौंपिन जेला रफी साहब सहर्ष स्वीकार कर लिन। रफी साहेब के कारण मन्नाडे, महेंद्र कपूर आदि गायक कलाकार मन ला घलो मनु नायक जी के बजट अनुसार पारिश्रमिक मा संतोष करना पडिस।

1965 मा कहि देबे संदेश के रिलीज होए के बाद घर-द्वार फ़िल्म के तैयारी चालू होइस जेमा मोहम्मद रफी के एक सोलो अउ दू ठन डुएट गीत के रिकार्डिंग होइस। गायिका रहिन सुमन कल्याणपुरी। ये फ़िल्म 1971 मा रिलीज होए रहिस। घर द्वार फ़िल्म के निर्माता विजय कुमार पांडेय रहिन। कवि, गीतकार हरि ठाकुर के लिखे गीत ला संगीत मा सँवारे रहिन संगीतकार जमाल सेन। घर द्वार मा रफी साहब के आवाज मा ये गीत मन रहिन।

गोंदा फुलगे मोरे राजा
आज अधरतिहा मोर सून बगिया मा

सुन सुन मोर मया पीरा के सँगवारी रे

कहि देबे संदेश अउ घरद्वार फ़िल्म के गीत आकाशवाणी ले घलो सुने बर मिल जाथें।

26 अप्रैल 1980 के दल्लीराजहरा के पं. जवाहरलाल नेहरू फुटबॉल स्टेडियम मा “शंकर जयकिशन नाइट” के आयोजन होए रहिस। ये कार्यक्रम मा संगीतकार शंकर, गायक मोहम्मद रफी, मन्नाडे, गायिका शारदा अउ उषा तिमोथी आये रहिन। चरित्र अभिनेत्री सोनिया साहनी कार्यक्रम के एंकरिंग करे रहिन। कार्यक्रम के शुरुआत मा स्वागत भाषण के औपचारिकता भिलाई निवासी राकेश मोहन विरमानी हर निभाये रहिन। भारत के भुइयाँ मा मोहम्मद रफी के ये आखरी स्टेज शो रहिस। ये कार्यक्रम के बाद 18 मई 1980 के श्रीलंका मा उनकर एक स्टेज शो घलो होए रहिस जेन हर रफी साहब के जिनगी के अंतिम स्टेज शो रहिस।
दल्लीराजहरा मा आयोजित “शंकर जयकिशन नाइट” देखे के सौभाग्य मोला मिले रहिस। ये कार्यक्रम मा उनकर गाए दू गीत के सुरता करथंव तब अइसे लगथे कि ए गीत मन मा अंतिम विदाई के संदेश छुपे रहिस। एक गाना रहिस – बड़ी दूर से आये हैं, प्यार का तोहफा लाए हैं”। छत्तीसगढ़ के वासी मन बर मोहम्मद रफी ला साक्षात देखना अउ सुनना, कोनो अनमोल तोहफा ले कम नइ रहिस। दूसर गीत रहिस – अजी ऐसा मौका फिर कहाँ मिलेगा, हमारे जैसा दिल कहाँ मिलेगा। ये गीत के बोल अटल सत्य बनगें। वइसन मौका फेर दल्लीराजहरा का, भारत के कोनो शहर मा नइ आइस अउ न मोहम्मद रफी के दिल असन कोनो दूसरा दिल मिल पाइस। दल्लीराजहरा के स्टेज शो, भारत के भुइयाँ मा रफी साहब के आखरी स्टेज शो बनके रहिगे। 31 जुलाई 1980 के ये महान गायक अपन पंचतत्व के काया ला पंचतत्व मा मिलाके रेंग दिस अउ दुनिया बर छोड़ दिस अपन अमर आवाज।
लेखक-  छत्तीसगढ़ी साहित्यकार
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)