रायपुर- सुर्खियों में रहने वाले सरकार के कद्दावर मंत्री अजय चंद्राकर मानहानि प्रकरण के तहत रायपुर कोर्ट पहुंचे और सक्षम न्यायालय के समक्ष अपना बयान दर्ज कराया. दरअसल मंत्री चंद्राकर ने दो अप्रैल को सामाजिक कार्यकर्ता मंजीत कौर बल और कृष्ण कुमार साहू के विरूद्ध मानहानि का प्रकरण दर्ज कराया था. उन्होंने कोर्ट से अपील की थी कि इस मामले में जल्द से जल्द सुनवाई की जाए.

अजय चंद्राकर ने आज कोर्ट में बयान दर्ज कराने के बाद कहा कि –

ये लड़ाई सार्वजनिक जीवन में लगे अनर्गल आरोप की है. मुद्दों और तथ्यों पर बात जारी रहेगी.

मानहानि प्रकरण में मंजीत कौर बल और कृष्ण कुमार साहू की ओर से मंत्री अजय चंद्राकर अब भी माफी मांगे जाने की उम्मीद कर रहे हैं. मीडिया की ओर से जब पूछा गया कि क्या माफी मांगने के बाद केस वापस ले लेंगे, इस पर चंद्राकर ने कहा कि-

माफी मांगने के बाद ही विचार करूंगा

हालांकि मानहानि प्रकरण में आज कोर्ट के सामने मंत्री अजय चंद्राकर का अधूरा बयान की दर्ज किया जा सका. मंत्री के वकील राजकुमार शुक्ला ने कहा कि-

प्रारंभिक बयान दर्ज किए गए हैं. प्रकरण की अगली सुनवाई 24 अप्रैल को होगी.

मंत्री अजय चंद्राकर ने याचिका दायर किए जाने के दौरान कहा था कि आय से अधिक संपत्ति मामले में दोनों याचिकाकर्ताओं मंजीत कौर बल और कृष्ण कुमार साहू ने अपनी याचिका वापस ले ली थी. याचिका वापस लिए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने प्रकरण को डिस्पोज कर दिया था, बावजूद इसके उनके खिलाफ याचिका कर्ता अपमानजनक टिप्पणी करते रहे. अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते रहे. इससे व्यथित होकर वह मानहानि का प्रकरण दर्ज करा रहे हैं. मंत्री चंद्राकर ने कहा था कि बिना सबूत किसी पर आरोप नहीं लगाना चाहिए. राजनीतिक व्यक्ति पर आरोप लगाना आसान है, लेकिन किसी के बारे में सोच समझकर ही बोलना चाहिए.

क्या है आय से अधिक संपत्ति का मामला?

गौरतलब है कि याचिकाकर्ता मंजीत कौर और कृष्ण कुमार साहू ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में अजय चंद्राकर के खिलाफ मामला दर्ज कराया था. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने मामले को निचली अदालत में अपील करने का निर्देश दिया था. इससे पहले निचली अदालत ने मंत्री जी की चल और अचल संपत्ति की जांच की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया था. इस पर अजय चंद्राकर ने मामले को रोकने के लिए बिलासपुर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. यहां वे तकनीकी आधार पर याचिका को निरस्त कराने में कामयाब रहे थे. अगस्त 2017 को हाई कोर्ट से याचिका निरस्त होने के बाद 22 नवंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अपील की गई थी. हालांकि इस पर मंत्री अजय चंद्राकर ने कैविएट लगा दिया था.