देश की राजधानी दिल्ली इन दिनों प्रदूषण की गंभीर समस्या से जूझ रही है और हवा की गुणवत्ता लगातार खराब बनी हुई है। इसी बीच दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) ने शहर के सभी होटल, रेस्तरां और खुले भोजनालयों में तंदूरों में कोयला और जलाऊ लकड़ी के उपयोग पर सख्त प्रतिबंध लगा दिया है। वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 31(ए) के तहत जारी आदेश में कहा गया है कि इन स्थानों पर अब बिजली, गैस-आधारित या अन्य स्वच्छ ईंधन से चलने वाले उपकरणों का ही प्रयोग करना अनिवार्य होगा। अब दिल्ली में खुले में कचरा जलाना या तंदूरों में कोयला और लकड़ी का इस्तेमाल पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। नियम तोड़ने वालों पर 5,000 रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है।

खुले में कचरा, पत्ते या किसी भी प्रकार का कचरा जलाने पर अब सीधे 5,000 रुपये तक का चालान काटा जाएगा। मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन और एमसीडी को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि ऐसे मामलों में तुरंत जुर्माना लगाया जाए।
मुख्यमंत्री ने एक ट्वीट के ज़रिए लोगों से अपील भी की “सभी दिल्लीवासियों से विनम्र अनुरोध है कि कृपया कचरा न जलाएं। आपका छोटा-सा सहयोग हवा को साफ रखने में बड़ी मदद कर सकता है।”

AQI का स्तर निर्धारित मानकों से ऊपर

डीपीसीसी का कहना है कि दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार निर्धारित मानकों से ऊपर दर्ज किया जा रहा है और कोयला आधारित खाना पकाने की प्रणाली स्थानीय प्रदूषण में एक प्रमुख योगदानकर्ता साबित हो रही है।

GRAP के तहत निर्देश जारी

ये निर्देश जीआरएपी के तहत जारी पहले के आदेशों के अनुरूप हैं, जिनमें उत्सर्जन पर नियंत्रण के लिए चरण-1 की कार्रवाई के रूप में तंदूरों में कोयले और जलाऊ लकड़ी के प्रयोग पर प्रतिबंध शामिल है। शहरी स्थानीय निकायों जिनमें नगर निगमों के कमिश्नर और मुख्य इंजीनियर शामिल हैं को निरीक्षण करने और यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि उनके अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी भोजनालय तुरंत कोयला और जलाऊ लकड़ी का उपयोग बंद कर दें। आदेश की त्वरित अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए संबंधित सभी विभागों को निर्देश स्पीड पोस्ट और ईमेल के माध्यम से भेज दिए गए हैं।

सड़क किनारे रखी निर्माण सामग्री को हटाने के निर्देश

इसी बीच डीपीसीसी ने मंगलवार को एक और आदेश जारी करते हुए सड़कों के किनारे रखी गई निर्माण सामग्री को तुरंत हटाने का निर्देश दिया है। समिति के अनुसार रेत, बजरी, ईंट, सीमेंट, टाइल्स और पत्थर जैसी निर्माण सामग्रियों का सड़क किनारे और सार्वजनिक स्थानों पर अनियंत्रित भंडारण, बिक्री और ढुलाई लगातार उड़ती धूल का कारण बन रही है। यह धूल राजधानी में पीएम10 और पीएम2.5 प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों में से एक पाई गई है। डीपीसीसी का यह ताज़ा निर्देश सीएक्यूएम द्वारा 21 नवंबर 2025 को जारी जीआरएपी के आदेशों के अनुरूप है।

अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि सड़क और फुटपाथों पर अवैध रूप से निर्माण सामग्री स्टोर या बेचने वाले सभी विक्रेताओं को तुरंत हटाया जाए। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी सामग्री खुले में न रखी जाए और न ही बिना ढकाव के परिवहन की जाए। आदेश में यह भी कहा गया है कि सार्वजनिक भूमि पर, या निजी भूमि पर बिना उचित ढकाव के रखी गई किसी भी सामग्री को जब्त किया जाए और एमसीडी के नियमों व उपनियमों के तहत संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाए।

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