नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने सैनिटरी नैपकिन के रेट को लेकर केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई है. हाईकोर्ट ने पूछा है कि जब सरकार बिंदी, सिंदूर, काजल, कंडोम जैसे सामान को जीएसटी के दायरे से बाहर रख सकती है, तो फिर सैनिटरी नैपकिन को क्यों नहीं. वहीं हाईकोर्ट ने जीएसटी परिषद में किसी भी महिला मेंबर के नहीं होने पर भी नाखुशी जताई.

बता दें कि जेएनयू में शोधार्थी जरमीना इसरार खान ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी और सैनिटरी नैपकिन पर 12 फीसदी जीएसटी लगाने के फैसले को चुनौती दी थी. इसी याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई की. याचिकाकर्ता ने ये भी कहा है कि एक तो पहले ही महिलाएं सैनिटरी नैपकिन को लेकर जागरुक नहीं हैं, ऊपर से सरकार ने इस पर 12 फीसदी टैक्स लगाकर इसे महिलाओं की पहुंच से और दूर कर दिया.

कल हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या सरकार सैनिटरी नैपकिन पर जीएसटी की दर कम करने की स्थिति में है या नहीं? इस पर केंद्र सरकार ने अपने जवाब में कहा कि सैनिटरी नैपकिन बनाने के लिए रॉ मटीरियल आयात किया जाता है, ऊपर से कुछ अन्य दिक्कतें भी हैं, जिसके कारण इस पर फिलहाल टैक्स हटाना पॉसिबल नहीं है.

अब इस मामले की अगली सुनवाई 14 दिसंबर को होगी.

sanitary-napkinsसोशल मीडिया पर चला था आंदोलन

गौरतलब है कि सैनिटरी नैपकिन पर जीएसटी को लेकर महिलाओं ने सोशल मीडिया के अलावा जगह-जगह आंदोलन किए थे और कहा था कि सैनिटरी नैपकिन उनकी मूलभूत जरूरत है, क्योंकि प्रकृति प्रदत्त चीजों पर उनका वश नहीं. वे काजल, बिंदी, चूड़ी के बिना रह सकती हैं, लेकिन सैनिटरी नैपकिन के बिना नहीं.