प्रतीक चौहान. रायपुर. डॉ खूबचंद बघेल स्वास्थ्य योजना और आयुष्मान भारत योजना के भुगतान में क्लेम को पास और फेल करने के लंबे खेल को लेकर अब छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव का भी बयान सामने आ गया है.

 लल्लूराम डॉट कॉम ने इस खेल में चल रही गड़बड़ियों को लेकर प्रकाशित की गई खबरों के संबंध में उनका पक्ष लिया, जिसके बाद उन्होंने लल्लूराम डॉट कॉम से स्पष्ट कहा कि- आप इसमें गड़बड़ी को लेकर मौजूद तथ्य और जानकारी दीजिए मैं, इसपर जरूर कार्रवाई करूंगा. हालांकि उन्होंने इस पूरे मामले की जानकारी उन्हें होने और विभागीय जांच रिपोर्ट के आने की भी बात कही.

ये खुलासा हमने पहले भी किया था, ऐसे हो रहा है पूरा खेल…

लल्लूराम डॉट कॉम ने डॉ खूबचंद बघेल स्वास्थ्य योजना और आयुष्मान भारत योजना में भुगतान को लेकर चल रहे खेल का खुलासा 24 जुलाई को प्रकाशित अपनी खबर में भी किया था, लेकिन चूंकि विभागीय मंत्री और प्रदेश के उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने लल्लूराम से जानकारी मांगी तो हम पुनः इस पूरे खेल को एक बार सामने ला रहे हैं, जिसमें स्वास्थ्य विभाग ने अपनी एक जांच कमेटी भी बनाई है, जिसकी रिपोर्ट के आने का भी इंतजार है.

आपको ये बता दें कि केंद्र सरकार और छत्तीसगढ़ शासन के कुल बजट को मिलाकर करीब 1400 करोड़ रूपए का बजट स्वीकृत करती है, जो हर वर्ग के लोगों को आयुष्मान कार्ड और डॉ खूबचंद बघेल स्वास्थ्य योजना से पात्र व्यक्ति का पूरा इलाज कराने में मदद करती है.

लल्लूराम डॉट कॉम ने अपनी पिछले खबरों की कड़ी में ये बताया था कि प्रदेश के कुछ अस्पताल ऐसे हैं, जिनके करोड़ों के क्लेम बिना किसी ऑडिट में अटके पास हो रहे हैं, जबकि बड़ी संख्या में ऐसे अस्पताल हैं जिनके क्लेम ऑडिट में रिजेक्ट हो रहे हैं.

इस खेल को समझने के लिए लल्लूराम की टीम लगातार ये प्रयास कर रही थी कि जिन अस्पतालों के क्लेम पास हो रहे हैं, उसमें कैसे खेल किया जाता है और जिनके केस रिजेक्ट किए जाने हैं, उनका खेल कैसे किया जाता है ?

लल्लूराम डॉट कॉम को ये पुख्ता जानकारी मिली है कि ये पूरा खेल एक सुनियोजित तरीके से खेला जा रहा है और इसमें स्टेट नोडल एजेंसी के कई जिम्मेदार शामिल हैं.

ACO की आईडी से होता है पूरा खेल

लल्लूराम डॉट कॉम को सूत्रों से पता चला है कि ये पूरा खेल अकाउंट ऑफिसर की उस आईडी से होता है, जिन्हें क्लेम को पास और फेल करने का कोई भी अधिकार नहीं है. क्योंकि ये नॉन मेडिको होते हैं और कुछ महीनों पहले तक एसीओ की आईडी में वो पावर कभी नहीं रहे हैं, जो उन्हें अभी वर्तमान सीनियर हॉस्पिटल कंसल्टेंट ने दिलवाए हैं.

 इसमें एक ACO की आईडी ऐसी है, जिससे तमाम हॉस्पिटल के क्लेम बड़ी संख्या में पास किए जा रहे हैं. ये स्वास्थ्य विभाग के लिए जांच का विषय है कि अचानक ऐसी क्या नौबत आ गई कि अकाउंट ऑफिसर की विभिन्न आईडी बनाकर उससे अपने चहेते अस्पतालों का लगातार क्लेम पास किया जा रहा है.

जबकि स्वास्थ्य विभाग अस्पतालों से आई फाइलों को पास और रिजेक्ट करने के काम के लिए 2 अलग-अलग टीपीए को बड़ा भुगतान करती है.

किन-किन लोगों के नाम से है आईडी और किस आईडी में है क्या पावर ?

अब सवाल ये है कि एसीओ की आईडी किन-किन लोगों की बनी हुई है और सबसे ज्यादा खेल किस आईडी से किसके द्वारा किया जाता है ? लल्लूराम को जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक सुमित, हार्दिक, लालवानी और रत्नेश नाम के अलावा कुछ आईडी है. इसमें से खेल करने और अपने आप को सेफ करने के लिए उक्त चार में से एक आईडी का इस्तेमाल किया जाता है.

ये स्टेट नोडल एजेंसी के लिए जांच का विषय है कि किन अस्पतालों का क्लेम सबसे ज्यादा पास हुआ है और वो क्लेम किस आईडी से पास हुआ है, हालांकि विभाग ने जांच कमेटी गठित कर ली है.

स्टेट नोडल एजेंसी के उप संचालक हटाए गए

इस पूरे खेल में जांच कमेटी के गठित होने और जांच कमेटी गठित करने के लिए पहल करने वाले स्टेट नोडल एजेंसी के उप संचालक डॉ जीजे राव को उनके पद से हटा दिया गया है, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग में इस बात की अफवाह है कि क्लेम पास और फेल करने वाले खिलाड़ियों ने अपने पावर की बदौलत ये कार्रवाई करवाई है, जबकि लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में उप मुख्यमंत्री ने इससे स्पष्ट इनकार किया.

 उन्होंने डॉ जीजे राव को हटाने के पीछे की मुख्य वजह तो साफ तौर से नहीं कही, लेकिन उन्होंने ये जरूर कहा कि जरूरतमंद लोगों के लिए जो आयुष्मान कार्ड बनाए जा रहे थे, उसकी मीटिंग में उनसे जानकारी मांगी गई थी, जो वे सही तरीके से पेश नहीं कर पाए, जिसके बाद ये कार्रवाई हुई है.

जिनके क्लेम रिजेक्ट हुए वे अस्पताल और डॉक्टर क्यों चुप बैठे हैं ?

अब यहां सवाल ये भी उठता है कि जिन-जिन अस्पतालों के क्लेम गलत तरीके से रिजेक्ट किए गए हैं, वे अब तक चुप क्यों बैठे हैं ? उन्होंने अब तक उप मुख्यमंत्री और विभाग के मंत्री टीएस सिंहदेव से मिलकर अपनी पीड़ा क्यों जाहिर नहीं की ? संभवतः यही कारण भी है कि जिन अस्पतालों के क्लेम रिजेक्ट गलत तरीके से हुए हैं वे अपनी बात सही तरीके से शासन के सामने नहीं रख पा रहे हैं, यही कारण है कि स्वास्थ्य विभाग में अफवाहों का बाजार गर्म है, जबकि उप मुख्यमंत्री ने ये स्पष्ट कर दिया है कि विभाग में ऐसी किसी भी गड़बड़ी को बर्दाशत नहीं की जाएगी और गलत तरीके से क्लेम पास और फेल करने वालों पर जरूर कार्ऱवाई होगी.