दिलशाद अहमद, सूरजपुर. देश और प्रदेश में कई ऐसे धर्म स्थल हैं, जहां लोग देवी-देवताओं से अपने लिए मन्नत मांगते है. लेकिन सूरजपुर जिले का खोपा धाम ही एक ऐसी जगह है जहां दानव की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दरबार से कोई भी खाली हाथ वापस नहीं जाता है. मन्नत पूरी होने पर यहां बकरे, मुर्गे की बलि दी जाती है और शराब भी चढ़ाया जाता है.

कैसा है यह धाम और क्या है इसकी मान्यता, पढ़िये इस खास खबर में…

ये श्रद्धालुओं की भीड़, मन्नत के लिए बांधे गए नारियल और धागे और यह पूजा पाठ का माहौल, जी हां इस स्थान पर पूजा हो रही है. लेकिन यह पूजा किसी देवी देवता की नहीं बल्कि दानव की हो रही है. इस दानव का नाम है बाकासुर. जिसे स्थानीय लोग दानव देवता के नाम से भी जानते हैं.

इनकी स्थापना खोपा गांव में की गई है, इसलिए इस धाम को खोपा धाम भी कहा जाता है. यह आसपास के इलाके ही नहीं बल्कि और कई प्रदेशों के लोगों की भी आस्था का केन्द्र है. यहां तमाम लोग अपनी मान्यता लेकर आते हैं और मनचाही मुराद पाकर जाते हैं. इसके पीछे की कहानी भी काफी दिलचस्प है.

बताया जाता है कि बकासुर नाम का दानव खोपा गांव के बगल से गुजरती रेड नदी में रहता था. गांव के एक बैगा जाति के युवक से प्रसन्न होकर वहां गांव के बाहर एक स्थान पर रहने लगे और अपनी पूजा के लिए उन्होंने बैगा जाति के लोगों को ही स्वीकृति प्रदान की. यही वजह है कि यहां पूजा कोई पंडित नहीं बल्कि बैगा ही कराते हैं. तब से लेकर आज तक यह स्थल आस्था का केन्द्र बना हुआ है. यहां की पूजा का तरीका भी अलग है. पहले यहां नारियल तेल और सुपाड़ी के साथ पूजा कर अपनी मन्नत मांगते हैं और मन्नत पूरी होने पर यहां बकरा, मुर्गा और शराब का प्रसाद चढ़ाया जाता है.

इस स्थान में पिछले कई सौ सालों से पूजा होती आ रही है लेकिन आज तक यहां मंदिर का निर्माण नहीं कराया गया है. इसकी भी अपनी अलग कहानी है. जानकारों के अनुसार खोपा देवता ने स्थापित होने से पहले ही यह बात कह दी थी मेरा मंदिर ना बनाया जाए, जिससे मैं चार दीवारी में कैद होने के बजाए स्वतंत्र रह सकूं.

इस स्थान में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी थी, लेकिन अब आधुनिकता में महिलाएं भी भारी संख्या में इस पवित्र स्थल पर जाकर पूजापाठ करती हैं लेकिन यहां का प्रसाद महिलाए नहीं खा सकती हैं और यहां के प्रसाद को घर भी नहीं ले जाया जा सकता है.

पिछले कई सौ वर्षों से यह श्रद्धालुओं के आस्था का केन्द्र है. यहां हर समय श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है. छत्तीसगढ़ सहित देश भर के श्रद्धालु भी यहां अपनी मन्नते मांगने आते हैं और मन्नत पूरी होने पर बकरा, मुर्गा और शराब का प्रसाद चढ़ाते हैं. श्रद्धालुओं की मानें तो इस दर से कोई भी खाली हाथ वापस नहीं जाता है. यहां के बैगा पुजारी भूत-प्रेत और बुरी साया से बचाने का दावा भी करते हैं. यहां भूत-प्रेत से छुटकारा पाने वालों की भी लंबी लाइन लगी रहती है.

पुरानी कहावत है ‘मानो तो देव नहीं तो पत्थर’ यह कहावत खोपा धाम के लिए बिलकुल सटीक बैठती है. यहां दानव पर आम लोगों की आस्था इतनी गहरी है कि इनकी मन मांगी मुरादें पूरी हो रही हैं. यह कहा जा सकता है कि आस्था में इतनी शक्ति होती है कि वह पत्थर में भी जान डाल सकती है.