रेणु अग्रवाल, धार। Madhya Pradesh धार जिले की सिद्धेश्वर गली स्थित दिगंबर जैन मंदिर में चल रहे चातुर्मास में उपाध्याय मुनि श्री विभंजन सागर जी महाराज साहब ने केश लोचन किया। यह दृश्य देखकर मौजूद श्रावक श्राविकाएं भक्त भावुक हो उठे। उपाध्याय मुनि श्री ने आंखों से एक आंसू गिराए बिना आह निकाले बिना अपने केश लोचन किया। श्रद्धालु एक टक देख रहे थे और भाव विभोर हो रहे थे।
दरअसल, प्रत्येक 3 माह में उपाध्याय श्री विभंजन सागर जी केश लोचन करते हैं। चातुर्मास में धार जिले में लगभग 15 साल पूर्व प्रणाम सागर जी ने केश लोचन किया था। अब धार में यह दूसरा मौका है कि उपाध्याय श्री विभंजन सागर जी ने अपने स्वयं का केश लोचन किया।
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वहीं दिगंबर जैन समाज के मीडिया प्रभारी संजय गंगवाल ने बताया कि आज परम पूज्य उपाध्याय मुनिश्री विभंजन सागर जी का केश लोचन हुआ। पूज्य गुरुदेव अन्न जल ग्रहण नहीं करेंगे। वही उनका मौन भी है। हर दिगंबर जैन संत तीन चार माह में यह नियम से करते हैं, यह एक कड़ी तपस्या है।
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क्या हैं केश लोचन
केश लोचन (केशलोंच) जैन धर्म में एक कठिन तपस्या है। जिसमें मुनि और साध्वी अपने सिर, दाढ़ी-मूंछ के बालों को बिना किसी उपकरण के हाथों से उखाड़ते हैं। इसे शरीर के प्रति अनासक्ति, तप और अहिंसा धर्म के पालन का प्रतीक कहा जाता है। इस प्रक्रिया से शरीर के आकर्षण को समाप्त किया जाता है और मन को स्थिर रखा जाता है। साथ ही सूक्ष्म जीवों की विराधना से बचा जाता है, जिससे कर्मों की निर्जरा होती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
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