दीपक ताम्रकार,डिंडोरी। ये तस्वीर मध्यप्रदेश के डिंडोरी कलेक्ट्रेट की है. बात सहायक आयुक्त कार्यालय के भीतर AC संतोष शुक्ला के सामने कुर्सी में ठाठ (बराबरी और सम्मान) से बैठी बैगा महिला की है. महिला का नाम ही नानी हैं, जो आज के दौर में किसी भी अधिकारी से बे रोक टोक बड़े कांफिडेंस से बात करती है. नानी के इस कॉन्फिडेंस को देख हमारी टीम भी हैरत में पड़ गई, क्योंकि हमारे रिपोर्टर मौके पर मौजूद थे.

दरअसल बैगा महिला नानी अपनी नातिन सीता धुर्वे जिसने बीते साल में 12वीं कक्षा (साइंस सब्जेक्ट) में 53% हासिल की थी. नातिन को अपने गाँव पंचगाव रैयत जनपद बजाग से लेकर कलेक्ट्रेट पहुंची. कलेक्ट्रेट स्थित सहायक आयुक्त कार्यालय में बैठे AC संतोष शुक्ला के पास गई. संतोष शुक्ला ने भी नानी और उसकी नातिन को ससम्मान कुर्सी में बैठाया. साथ ही चाय नाश्ता की व्यवस्था की. नानी के साथ अन्य दो बैगा महिला भी अपना काम लेकर आई हुई थी. उन्हें नानी पर पूरा भरोसा था कि नानी उनका काम करवा देंगी. नातिन की काबिलियत से जुड़ी जानकारी और दस्तावेज सौंपी.

महाकाल की शरण में पहुंची शॉटगन शूटिंग की स्वर्ण पदक विजेता नीरू ढांडा: गर्भगृह में की पूजा-अर्चना, भक्ति में दिखीं लीन

नानी ने बताया कि बनी मजदूरी कर वे अपना जीवन यापन करती हैं. अन्य बैगा परिवारों की तरह उन्होंने कभी स्कूल का मुंह नहीं देखा, लेकिन चाहती है कि आने वाला भविष्य हमारे जैसा दौर न देखें. जीवन में काफी संघर्ष और कठिनाइयों का सामना करना पड़ा हैं. पंचगाव रैयत गाँव से डिंडोरी शहर तक के सफर में 2 बार गाड़ी बदलनी पड़ती है और 100 रुपए खर्च करने पड़ते है, तब जाकर अधिकारियों से मुलाकात हो पाती है.

शहडोल में ट्रेन हादसे का असर: आज भी एक साथ कई ट्रेनें रद्द, यात्रियों की बढ़ी परेशानी, फंसे लोगों के लिए ट्रैफिक सूबेदार बने देवदूत

AC संतोष शुक्ला ने नानी को जानकारी दी कि उनकी नातिन सीता धुर्वे को बजाग के कन्या शिक्षक परिसर में अतिथि शिक्षक के रूप में नियुक्त कर दिया गया है. जानकारी हॉस्टल अधीक्षक को दे दी गई है. AC द्वारा जानकारी मिलने पर नानी और उसकी नातिन सीता को खुशी का मानो ठिकाना न था. नानी ने अब तक अपनी बेटी को गाँव में ही आंगनबाड़ी नियुक्ति दिला चुकी है. साथ ही नाती को चतुर्थ श्रेणी पद पर बैठा दिया है.

नानी ने कुर्सी से उठकर AC संतोष शुक्ला को ढेर सारा आशिर्वाद दिया. इस दौरान सारा वाक्या और नजारा हम देख रहे थे. हमने भी सारी जानकारी जुटाई ताकि आप तक जानकारी साझा कर सके. डिंडोरी जिले की बैगा महिलाएं पहले की अपेक्षा अब ज्यादा समझदार और जानकार हो गई है, जो शिक्षा के प्रति आगे बढ़ रही है.

सीता धुर्वे भी चाहती है कि वह शिक्षक बन अपने क्षेत्र के आदिवासी बैगा बच्चों को पढ़ा कर आगे बढ़ने में मदद कर सकें. वही सीता धुर्वे को आने वाले समय में स्मार्ट क्लास के लिए विशेष ट्रेनिंग देने की बात AC साहब ने कही है. जिससे वह हाईटेक शिक्षक बन कर बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सकें. आज के दौर में जहाँ महानगर और बड़े बड़े शहरी क्षेत्र की महिलाएं अपने हक के लिये बराबरी से बात करने में भले ही झिझक जाए, लेकिन डिंडोरी जिले की बैगा महिलाओं का ऐसा कॉन्फिडेंस गौर करने लायक है.

Read more- Health Ministry Deploys an Expert Team to Kerala to Take Stock of Zika Virus