अजय दुबे, सिंगरौली। जिले के देवसर विधानसभा क्षेत्र के किसानों का एपीएमडीसी ने भूमि अधिग्रहण कर जमीन से खनिज संपदा कोयला निकालना शुरू कर दिया है। प्रभावित इलाकों में रहने वाले लोगों का कहना है कि कंपनी ने उन्हें उचित मुआवजा नहीं दिया और ब्लास्टिंग शुरू कर कोयला निकालने लगा है, जिससे उन इलाकों में रहने वाले लोग अब दहशत में अपना जीवन बिता रहे हैं। किसानों का आरोप है कि इन इलाकों में कभी भी अप्रिय घटना हो सकती है। प्रशासन को अवगत भी कराया लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। कंपनी के लोगों का कहना है कि जब ब्लास्टिंग हो तो आप घरों से बाहर निकल जाया करें।

दरअसल सिंगरौली जिले में खनिज पदार्थों की अपार संपदा होने के चलते दर्जनों कंपनियों ने भूमि अधिग्रहण लोगों का किया है। इसी तरह एपीएमडीसी ने भी सुलियरी, मझौली पाट, डोंगरी, खंनुवा, झालरी, सहित सुलियरी कोल माइंस में करीब एक दर्जन गांव की जमीन का अधिग्रहण किया है। उन इलाकों के लोगों का आरोप है कि कई महीने बीत जाने के बाद भी उन्हें उचित मुआवजा नहीं दिया गया और ना ही उन्हें यह जानकारी दी गई कि इस जमीन के बदले उन्हें कौन-कौन सी सुविधाएं दी जाएंगी।

किसानों का आरोप है कि उनके खेती की जमीन को कंपनी द्वारा अधिग्रहण कर लिया गया, लेकिन उन्हें मुआवजा नहीं दिया गया। अब इन इलाकों में रहने वाले किसानों को अपने बच्चों की रोजी रोटी के साथ उन्हें शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए भी परेशान होना पड़ रहा है। इन इलाकों में रहने वाले लोगों का कहना है कि पूर्वजों के द्वारा दी गई भूमि से वह खेती कर अपना जीवन यापन करते थे। मौजूदा वक्त में स्थितियां बेहद खराब हो गई हैं। उन्हें उचित मुआवजा भी नहीं मिला और कंपनी द्वारा अधिग्रहण कर लिया गया।

किसानों का यह भी आरोप है कि अब उन्हें दहशत के बीच जीवन का गुजारा करना पड़ रहा है क्योंकि कोयला निकालने के लिए कंपनी के द्वारा ब्लास्टिंग शुरू कर दिया गया है जबकि उन इलाकों में कई लोग अब भी रह रहे हैं। किसानों और विस्थापितों ने आरोप लगाते हुए कहा कि एपीएमडीसी की ब्लास्टिंग के चलते कई घर फटकर जर्जर हो गए हैं अधिकारियों से जब बात करो तो उनका कहना है कि ब्लास्टिंग जब हो तो आप घरों से बाहर निकल जाएं प्रशासन से कई बार गुहार लगाई लेकिन कोई भी अधिकारी सुनने को तैयार नहीं है। बड़ी बात यह है कि ऐसा नहीं है कि पूरे मामले से प्रशासन बेखबर है लेकिन कुछ भी कहने से बच रहा है। अब देखना होगा कि इन विस्थापितों को आखिर न्याय कब मिलता है।

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