धमतरी। सच ही कहा गया है कि अगर कुछ करने का हौसला और जुनून हो, तो कोई भी बाधा सफलता के आड़े नहीं आ सकती है. ऐसी ही मिसाल कायम की है- धमतरी जिले के कुरूद की रहने वाली दिव्यांग रजनी जोशी ने, जिसने 17वीं राष्ट्रीय पैरा तैराकी प्रतियोगिता 2017 में 3 गोल्ड मेडल हासिल किए.
divyang rajniकुरूद के डांडेसरा गांव की रहने वाली रजनी ठीक से देख नहीं पाती है. हालांकि उसकी आंखें भले ही उसका साथ नहीं दे पा रही हों, लेकिन उसने सपने देखना बंद नहीं किया. गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली रजनी ने अपने मजबूत इरादों की बदौलत 17वीं राष्ट्रीय पैरा तैराकी प्रतियोगिता 2017 में 3 गोल्ड मेडल हासिल किए. साथ ही वो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपना लोहा मनवा चुकी है और कई इनाम अपने नाम किए हैं.
बता दें कि 5 नवंबर को राजस्थान के उदयपुर में भारतीय पैरा ओलंपिक कमेटी, नारायण सेवा संस्थान, पैरा स्पोर्ट्स एसोसिएशन राजस्थान, महाराणा प्रताप खेलगांव सोसायटी के संयुक्त तत्वाधान में प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था. इस स्पर्धा में करीब 26 राज्यों के 275 पुरूष और 125 महिला खिलाड़ी शामिल हुईं.
झीलों की नगरी उदयपुर में आयोजित इस स्पर्धा में नामी पैरा स्वीमिंग खिलाड़ियों ने भाग लिया. जिसमें धमतरी की रजनी जोशी ने गोल्ड मेडल हासिल कर छत्तीसगढ़ का नाम रोशन कर दिया.
बता दें कि कुछ ही महीनों पहले रजनी ने गुरुग्राम में आयोजित नेशनल ब्लाइंड एंड डेफ जूडो स्पर्धा में भी बेहतर प्रदर्शन कर गोल्ड मेडल हासिल किया था. रजनी की इस कामयाबी से परिवार सहित पूरे जिलेवासी गर्व महसूस कर रहे हैं.
divyang rajniगौरतलब है कि रजनी जोशी डांडेसरा की एक्जेट फांउडेशन द्वारा संचालित दिव्यांग आवासीय प्रशिक्षण केन्द्र में पढ़ती है. वो कई तरह के खेलों को मोबाइल पर वीडियो देखकर सीखती थी. जबकि वो ठीक से देख नहीं पाती और आंशिक रूप से ब्लाइंड है. उसके जज्बे को देखकर उसके शिक्षक उसकी हरसंभव मदद करते थे.
रजनी को आगे बढ़ाने में राजनांदगांव के सांसद अभिषेक सिंह और समाजसेवी सतीश भट्टर का विशेष सहयोग रहा है. रजनी ने कहा कि वो रोजाना 2 से 3 घंटे खेल की प्रैक्टिस करती है. उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार और शिक्षकों को दिया है.
रजनी के शिक्षकों का कहना है कि अगर सरकार की तरफ से मदद मिले, तो वो और सफलता की ऊंचाईयों को छू सकती है.