
रायपुर. प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में तेजी से हॉर्मोनल चेंजेज होते हैं, जिसका असर उनके मूड चेंजेस होने के साथ-साथ उनके व्यवहार में भी दिखता है. गर्भावस्था में रात के दौरान आइसक्रीम, ठंडी कोल्ड ड्रिंक या गोल गप्पे के लिए क्रेविंग होना आम बात है, क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान महिला का शरीर ज्यादा सेंसटिव हो जाता है इसलिए यह जानना बहुत जरूरी है कि जब एक महिला गर्भवती होती है तो उस दौरान सोडा का सेवन किया जा सकता है या नहीं. सोडा में बहुत ज्यादा मात्रा में कैफीन,कलरिंग एजेंट, प्रिजर्वेटिव्स, फ्लेवर्स मिलाए जाते हैं, जो pregnent महिला और उनके baby को बहुत नुकसान पहुंचाते है.

अनिद्रा की समस्या
सोडा में कैफीन की मात्रा काफी ज्यादा पाई जाती है, जो सेहत के लिए नुकसानदायक होती है. सोडा पीने से अनिद्रा की समस्या भी हो सकती है. कैफीन का सीधा असर शिशु की सेहत पर भी पड़ता है. ज्यादा कैफीन के सेवन से बच्चे को पैदा होते समय सांस लेने में तकलीफ भी हो सकती है. सोडा पीने से महिला के शरीर में पानी की कमी भी हो सकती है. वहीं इसके वजह से महिला को पेट खराब भी हो सकता है.
ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है
सोडा में चीनी की मात्रा काफी ज्यादा पाई जाती है, जो गर्भवती महिला और शिशु दोनों के लिए सही नहीं होती. प्रेगनेंसी में ज्यादा चीनी की मात्रा लेने से ब्लड शुगर लेवल बढ़ता है और मिस्कैरिज की संभावना भी बढ़ती है. प्रेगनेंसी में चीनी ज्यादा खाने से शिशु में जन्म के समय भी कई समस्याएं हो सकती हैं.

महिला और बच्चे की हड्डी हो सकती कमजोर
सोडा को रंग देने के लिए इसमें आर्टिफिशियल कलर का use किया जाता है, जो सेहत के लिए काफी हानिकारक होता है. इस आर्टीफिशयल कलर में मीठा होने के साथ फॉस्फोरिक एसिड होता है, जो प्रेगनेंसी के समय लेने से महिला की हड्डियों को कमजोर बना सकता है. नियमित सोडा पीने से शरीर में कैल्शियम प्रभावित होता है, जो बच्चे की हड्डियों को भी कमजोर करता हैं.
मस्तिष्क को नुकसान
प्रेगनेंसी में सोडा पीने से शिशु के मस्तिष्क को नुकसान पहुंच सकता है. इसके सेवन से शिशु के जन्म के बाद याद रखने की क्षमता पर असर होता है. नियमित सोडा पीने से शिशु के दिमागी विकास पर भी असर होता है. कई बार देखने में आता है कि जो महिलाएं सोडा का सेवन करती हैं, उनके बच्चे का दिमागी विकास ठीक से नहीं हो पाता.
बच्चे का वजन बढ़ जाता है ज्यादा
गर्भावस्था के दौरान कोल्ड ड्रिंक, सॉफ्ट ड्रिंक या डाइट सोडा जैसे पेय पदार्थ का सेवन करने से समय से पहले प्रसव यानि प्रीटर्म डिलीवरी का खतरा बढ़ जाता है. साथ ही जन्म के वक्त बच्चे का वजन भी अधिक होने का खतरा रहता है. वास्तव में, जिन महिलाओं ने प्रेगनेंसी के दौरान कोल्ड ड्रिंक या डाइट सोडा का सेवन किया, उनमें गर्भावस्था के दौरान सॉफ्ट ड्रिंक नहीं पीने वाली महिलाओं की तुलना में अधिक वजन वाले बच्चों को जन्म देने की आशंका 60% अधिक थी.
बच्चे को एलर्जी का खतरा
कोल्ड ड्रिंक में कलरिंग एजेंट, प्रिजर्वेटिव्स, फ्लेवर्स, आर्टिफिशियल स्वीटनर जैसी कई चीजें डाली जाती हैं और ये सारी ही चीजें गर्भावस्था के दौरान महिला के लिए पूरी तरह से अनहेल्दी मानी जाती है. साथ ही इन चीजों की वजह से गर्भ में पल रहे बच्चे को एलर्जी होने का खतरा हो सकता है.
सीने में जलन की समस्या
कोल्ड ड्रिंक, सॉफ्ट ड्रिंक और डाइट सोडा जैसे पेय पदार्थ कार्बोनेटेड होते हैं यानी उनमें कार्बन डाइऑक्साइड के बुलबुले होते हैं और इनमें कैफीन की मात्रा भी बहुत अधिक होती है. ऐसे में प्रेगनेंसी के दौरान कार्बोनिक एसिड और कैफीन का अधिक सेवन करने से बदहजमी और सीने में जलन की समस्या बहुत अधिक बढ़ सकती है.
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