Delhi News: नई दिल्ली.  एम्स( Aiims)  के डॉक्टरों ने फिर करिश्मा कर दिया है. प्रसव के दौरान एक बच्चे की गर्दन की टूटी हड्डी को उसकी मां की हड्डी निकालकर जोड़ दिया और करीब डेढ़ वर्षीय बच्चे को नया जीवन दिया है.

दावा किया जा रहा है कि देश में पहली बार इतने छोटे बच्चे में बिना धातु के इंप्लांट लगाया गया है. इससे पहले अमेरिका में एक बच्चे को बिना धातु का इंप्लांट लगाए हड्डी की सर्जरी की गई. एम्स के न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ. दीपक गुप्ता के मुताबिक मेरठ के एक अस्पताल में प्रसव के दौरान बच्चे की रीढ़ और गर्दन की हड्डी में चोट लग गई थी. जन्म के समय बच्चा 4.5 किलोग्राम था. उसे वेंटिलेटर पर रखा गया. इसके बाद मई 2022 में उसे एम्स ट्रॉमा सेंटर लाया गया. यहां पता चला कि गर्दन की टूटी से नीचे दबाव पड़ रहा था, जिससे बच्चे को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी.

कूल्हे से हड्डी निकाल प्रत्यारोपित की

डॉक्टर ने बताया कि उस समय बच्चा सिर्फ छह महीने का था. इतने छोटे बच्चे में हड्डी को जोड़ने के लिए धातु का इंप्लांट नहीं लगाया जा सकता. ऐसे में उसकी मां की सर्जरी की गई और उनके कूल्हे से पांच सेंटीमीटर हड्डी निकाली गई. मां से ली गई इस हड्डी को दो टुकड़ों में बांटा गया. एक टुकड़े को गर्दन और दूसरे को रीढ़ में प्रत्यारोपित किया गया.

डॉक्टरों को सर्जरी में करीब 15 घंटे लगे. इसके बाद बच्चा 11 महीने तक एम्स में ही भर्ती रहा. दिसंबर में बच्चा एक वर्ष का हो गया था. उसका पहला जन्मदिन भी अस्पताल में ही मनाया गया. 10 महीने तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद बच्चे को एक महीने न्यूरो रिहेब में रखा गया. बुधवार को इस बच्चे को अस्पताल से छुट्टी दी गई है.

 इस बच्चे के इलाज में डॉक्टर दीपक गुप्ता, डॉक्टर जी पी सिंह, डॉक्टर राकेश लोढ़ा, डॉक्टर शैफाली गुलाटी, डॉक्टर अशोक जरयाल समेत कई डॉक्टर शामिल रहे.