नई दिल्ली। जीटीबी अस्पताल के रामलीला मैदान में अस्थायी कोविड देखभाल केंद्र में तैनात जूनियर डॉक्टरों को पिछले चार महीने से वेतन नहीं दिया गया है. जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर मनु गर्ग ने कहा कि जीटीबी अस्पताल के तहत यह कोविड सुविधा मार्च 2021 में शुरू हुई थी. पिछले चार महीनों से हमें हमारा वेतन नहीं मिल रहा है. लेखा विभाग हमेशा कहता है कि सलाहकारों से पूछो. उनका कहना है कि इससे संबंधित फाइल को स्वास्थ्य मंत्रालय ने पास नहीं किया है.

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बता दें कि क्षमता बढ़ाने के लिए दिल्ली सरकार ने पूर्वी दिल्ली में गुरु तेग बहादुर (जीटीबी) अस्पताल से जुड़े रामलीला मैदान के पास 500 बिस्तरों की गहन देखभाल सुविधा खोला था. इसी तरह की सुविधा लोकनायक जय प्रकाश अस्पताल के रामलीला मैदान में भी खोली गई थी. मेडिकल ग्रेजुएट डॉ मनु गर्ग ने कहा कि हम एमबीबीएस डॉक्टर ‘कोविड योद्धा’ के रूप में तैनात हैं. जब सुविधा शुरू हुई, तो 150 से अधिक जूनियर रेजिडेंट थे, लेकिन जैसे-जैसे उन्होंने (सरकार) कर्तव्यों को कम करना शुरू किया और पहले वेतन में देरी की वजह से लोग छोड़ते चले गए.

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डॉ मनु गर्ग ने कहा कि हमें 6,000 रुपए प्रति कर्तव्य के मानदेय पर रखा गया था. यह एक महीने में 6,000 रुपए की एक ही ड्यूटी पर हमारी आजीविका की बात आ गई है और यहां तक कि पिछले 4 महीनों से भुगतान नहीं किया गया है. जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि हालांकि दैनिक कोविड के मामले घट रहे हैं, लेकिन शहर में डेंगू के मामले बढ़ रहे हैं. जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि दिल्ली सरकार के आदेश के मुताबिक, सभी सरकारी अस्पतालों को डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों के इलाज के लिए एक तिहाई कोविड-19 बेड का इस्तेमाल करना होगा. हालांकि दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है.

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चिकित्सा जनशक्ति की दोबारा नियुक्ति के संबंध में गुरु तेग बहादुर अस्पताल से एक आदेश प्रति में लिखा है कि सलाहकार के रूप में तैनात ये जूनियर डॉक्टर 21 दिसंबर तक कोविड रोगियों के प्रबंधन के लिए प्रतिदिन की शिफ्ट के आधार पर होंगे. अभिषेक ने कहा कि हमें शुरू में 3 महीने के लिए नियुक्त किया गया था, लेकिन इस आदेश के बाद अनुबंध को दिसंबर तक बढ़ा दिया गया था. 27 जुलाई आखिरी तारीख थी, जब हमें हमारा वेतन मिला. डॉक्टरों ने कहा कि प्रबंधन के अनिच्छुक रवैये ने जूनियर डॉक्टरों को निराश कर दिया है. डॉक्टरों ने कहा कि “ना तो ड्यूटी के घंटे बढ़े हैं और न ही हमारे लंबित वेतन का भुगतान अस्पताल प्रशासन द्वारा किया जा रहा है.”
जीटीबी अस्पताल से डेंगू के मरीजों को इलाज के लिए एमसीडी संचालित स्वामी दयानंद (एसडीएन) अस्पताल रेफर किया जा रहा है. हाल ही में एक डेंगू मरीज को एसडीएन अस्पताल के डेंगू वार्ड में रेफर किया गया था.