संदीप सिंह ठाकर, लोरमी। मुंगेली जिले के लोरमी तहसील से 25 किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ों पर गांव डोंगरीगढ़ में मां भुवनेश्वरी देवी का मंदिर स्थित है. डोंगरीगढ़ मंदिर को मां बम्लेश्वरी डोंगरगढ़ का रूप माना जाता है. यहां इस वर्ष 819 मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित किया गया है. नवरात्रि के दौरान वनांचल गांव में बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं.

माता का मंदिर चारों तरफ पेड़-पौधे और पहाड़ियों से घिरा है. मंदिर तक जाने के लिए सैकड़ों सीढ़ियां हैं. मंदिर से आपको चारों तरफ का सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है, जो बहुत ही आकर्षक रहता है. बताते हैं इस मंदिर तक सैकड़ों सीढ़ी और दुर्गम रास्तों को पार कर अपनी मनोकामना लेकर भक्त यहां आते हैं. ऐसा माना जाता है कि यहां आकर मां की आराधना करने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है.

मां भुवनेश्वरी मंदिर समिति डोंगरीगढ़ के सदस्य लखन लाल यादव बताते हैं कि मंदिर बहुत ही प्राचीन है. वर्ष 1992 में क्षेत्रवासियों के सहयोग से माता भवानी के मंदिर का निर्माण कराया गया, जहां दूर-दूर से पहुंचने वाले श्रद्धालु मनोकामना ज्योति प्रज्वलित कराते हैं. प्रति वर्ष नवरात्रि के अवसर पर 9 दिनों तक विशेष पूजा-अर्चना के साथ भागवत कथा पुराण सहित मेले का आयोजन किया जाता है. उन्होंने कहा कि यहां जो भी अपनी मनोकामना लेकर आता है, माता उसकी मनोकामना पूरी करती हैं.

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माता की सेवा करने वाले पुजारी मन्नू दास वैष्णव ने बताया कि सालों पहले माता उनके पूर्वजों के सपने में आईं और पहाड़ पर अपने होने की बात कही थी. इसके बाद जब सभी गांव वाले उस जगह पर गए तो देखा कि दो विशाल चट्टानों के बीच में मातारानी की मूर्ति विराजमान थी. इसके बाद यहां ज्योति कलश प्रज्वलित किया गया. बाद में ग्रामीणों एवं दानदाताओं के अथक प्रयास से वहां पर एक छोटा सा मंदिर बना कर विधि-विधान के साथ पूजा की गई. तब से यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है.

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