अनिल सक्सेना, रायसेन। कर्क रेखा पर स्थित रायसेन में सोमवार दोपहर कुदरत का अनोखा नजारा देखा गया, जब साल के सबसे बड़े दिन वार्षिक खगोलीय घटना के तहत ठीक 12 बजकर 2 मिनट पर साये ने सबका साथ छोड़ दिया. दरअसल मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के सलामतपुर और दीवानगंज के बीच से निकली कर्क रेखा पर मंगलवार 21 जून को ग्रीष्म संक्रांति के दिन लोगों की परछाई कुछ समय के लिए गायब हो गई. यह कोई चमत्कार नही है. इस स्थान पर कर्क रेखा होने के कारण सूर्य लोगों के सिर के ठीक ऊपर रहा. जिसके चलते दोपहर 12 से 2 बजे तक इस रेखा पर खड़े होने पर लोगों को परछाई भी दिखाई नहीं दी.

इस दौरान स्टेट हाईवे नंबर 18 से गुजरने वाले पर्यटक कर्क रेखा स्थल पर कुछ पल ठहर कर इसके महत्व के बारे में जानकारी भी हासिल करते रहे. इस स्थान से पहले यह कर्क रेखा पहाड़ों और जंगलों से गुजरते हुए यहां तक पहुंचती है. ऐसा माना जाता है कि जहां से कर्क रेखा निकलती है, वहां तापमान की अधिकता रहती है. गर्मी के सीजन में इस स्थान पर तापमान 41 से 47 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है. वहीं विदिशा-भोपाल रोड पर जिस स्थान पर कर्क रेखा स्थल है, वहां पर न तो कोई हरियाली है और न ही कोई बस्ती. आसपास सन्नाटा ही पसरा रहता है.

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कर्क रेखा पर खड़े होने पर नहीं बनती छाया

मप्र पर्यटन विकास निगम ने जब से कर्क रेखा स्थल पर रोड के दोनों ओर स्मारक बनाकर सौंदर्यीकरण कार्य करवा दिया है, तब से यहां से गुजरने वाले लोग अपने वाहन यहां रोककर उत्सुकतावश इस स्थान को जरूर देखते हैं और फोटो खिंचवाकर इस स्थान को यादगार बनाने की कोशिश करते हैं. लोग यहां यह देखने आते हैं कि कर्क रेखा पर खड़े होने से छाया बनती है या नहीं. कर्क रेखा के बारे में जानकार बताते हैं कि कर्क रेखा पर आपकी परछाई गायब हो जाती है. 21 जून को ग्रीष्म संक्रांति पर सूर्य कर्क रेखा स्थल के पास सूर्य ठीक सिर के ऊपर रहता है. जिस कारण लोग यहा आकर इसे चमत्कार के रूप में देख रहे हैं. हालांकि यह कोई चमत्कार नहीं है.

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जानिए क्या है वजह

बता दें कि कर्क रेखा पृथ्वी के 23.5 डिग्री अक्षांश पर स्थित है. पृथ्वी का घूर्णन अक्ष पृथ्वी के सूर्य के परिचालन पथ के प्लेन से 23.5 डिग्री झुका हुआ है. जिसकी वजह से कर्क रेखा जो 23.5 डिग्री उत्तर के अक्षांश पर स्थित है, उसके पास 21 जून को प्रत्येक वर्ष सूर्य की किरणें बिलकुल सीधी पड़ती हैं. इस घटना को ग्रीष्म संक्रांति अथवा समर सोलिस्टिक भी कहते हैं. 21 जून को यदि कर्क रेखा पर एक खंभा खड़ा किया जाए तो उसकी छाया कर्क रेखा पर बनी रहेगी, लेकिन दोपहर के समय कुछ देर के लिए यह छाया गायब हो जाएगी. क्योंकि सूर्य उस समय बिलकुल सीधा होगा.

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कर्क रेखा पर स्थित सभी स्थानों पर ऐसा नहीं होता

कर्क रेखा की लंबाई 36788 किमी है. सूर्य की किरणें सीधी होने पर गर्मी अधिक होती है. लेकिन कर्क रेखा पर स्थित सभी स्थानों पर यह बात लागू नहीं होती है. जहां हरियाली ज्यादा होती है, वहां के तापमान में कमी रहती है. हवाई मार्ग से पृथ्वी के चक्कर लगाने के लिए जो मानक तय हैं, उसके अनुसार कम से कम कर्क रेखा की लंबाई के बराबर दूरी तय करना आवश्यक है. इसके अलावा उड़ान का प्रथम बिंदु और अंतिम बिंदु एक ही होना चाहिए. कर्क रेखा नाम 2000 साल पूर्व पड़ा था. उस समय पृथ्वी से देखने पर सूर्य का पथ कर्क राशि की ओर था. रायसेन के स्टेट हाईवे 18 पर सलामतपुर और दीवानगंज के बीच से निकली है. यह वही कर्क रेखा का स्थान है जिसे अब पर्यटन विभाग स्मारक बनाकर विकसित कर टूरिस्टों के लिए आर्कषण का केन्द्र बना रहा है.

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