दुर्ग। पद्मनाभपुर निवासी जोशी परिवार ने अपने परिवार की मुखिया सुधा जोशी के निधन के बाद उनका पार्थिव शरीर मेडिकल शिक्षा के लिए दान कर समाज के सामने अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है. परिवार ने कठिन भावनात्मक परिस्थिति के बीच यह निर्णय लिया, जिससे मेडिकल छात्रों को अध्ययन और शोध में बड़ा लाभ मिलेगा.
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सुधा जोशी के पुत्र सुधीर जोशी, सुबोध जोशी, पुत्रवधू वर्धा जोशी, चारुता जोशी और पुत्री साधना अशोक पतकी की सहमति से देहदान की प्रक्रिया पूरी की गई. पार्थिव देह को श्री शंकराचार्य मेडिकल कॉलेज को सौंपा गया.

नेत्र व त्वचा दान की इच्छा : नवदृष्टि फाउंडेशन के विनोद जैन ने बताया कि परिवार नेत्रदान और त्वचा दान भी कराना चाहता था, लेकिन तकनीकी कारणों से यह संभव नहीं हो पाया. उन्होंने कहा कि जोशी परिवार शहर का प्रतिष्ठित परिवार है. उनके इस निर्णय से लोगों में देहदान के प्रति जागरूकता निश्चित रूप से बढ़ेगी.
परिवार ने कहा – मां का जीवन सार्थक हुआ : देहदान की प्रक्रिया के दौरान परिवार बेहद भावुक था. सुबोध जोशी ने कहा कि मां के जाने से हम टूट गए हैं, लेकिन देहदान के फैसले से आत्मिक संतोष है कि उनका जीवन वास्तविक अर्थों में सार्थक हुआ. वहीं सुधीर जोशी ने कहा कि मां ने जीवन भर जरूरतमंदों की मदद की. अब जाते-जाते भी समाज के काम आ गई. उनकी देह से विद्यार्थियों को मिलेगी और बेहतर इलाज के नए रास्ते खुलेंगे.
उद्यानिकी फसलों का हब बना दुर्ग
दुर्ग। दुर्ग जिला उद्यानिकी फसलों का मजबूत केंद्र बन चुका है. टमाटर और सब्जियों में पहले से अग्रणी यह जिला अब केले और पपीते की रेकॉर्ड पैदावार के लिए भी प्रदेश में पहचान बना रहा है.
जिले में हर साल दोनों फसलों की कुल पैदावार 1.05 लाख मीट्रिक टन से अधिक रहती है, जिससे लगभग 200 करोड़ रुपए का कारोबार होता है. दुर्ग का उत्पाद न सिर्फ पड़ोसी राज्यों, बल्कि अरब देशों और बांग्लादेश में भी निर्यात किया जा रहा है. जिले में 45 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल उद्यानिकी फसलों के अंतर्गत है. इसमें 1,894 हेक्टेयर केले और 1,304 हेक्टेयर पपीते की खेती होती है. बीते सीजन में केले की पैदावार 53,960 मीट्रिक टन और पपीते की पैदावार 51,299 मीट्रिक टन दर्ज हुई.
अरब देशों और बांग्लादेश में अधिक मांग : दुर्ग के केले-पपीते के साथ टमाटर, शिमला मिर्च, कुंदरू जैसी फसलों की सबसे ज्यादा मांग अरब देशों और बांग्लादेश में है. देश के भीतर भी पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, ओडिशा, मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना में दुर्ग की उपज बड़े पैमाने पर भेजी जाती है.
खेत पर ही खरीद लेते हैं व्यापारी : धान के विपरीत इन फसलों की खरीदी सीधे खेतों में आकर व्यापारी करते हैं. इससे किसानों को मंडी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता और परिवहन की लागत भी बच जाती है. इससे समय भी बचता है और किसान को परेशियों की सामना भी नहीं करना पड़ता . यही वजह है कि जिले के किसान अब इसी तर्ज पर सब्जी व उद्यानिकी खेती को पसंद कर रहे हैं.
दत्तात्रेय जयंती पर 4 दिसंबर को गोस्वामी सम्मेलन राजिम में
भिलाई. राजीव लोचन की पावन धरा राजिम में स्थित दत्तात्रेय मंदिर परिसर में अगहन पूर्णिमा पर 4 दिसंबर को गोस्वामी समाज द्वारा प्रांत स्तरीय भव्य दत्तात्रेय प्राकट्य उत्सव मनाई जाएगी. सुबह 8 बजे भगवान दत्तात्रेय का मंत्रोच्चार के साथ पूजा अर्चना के बाद 10.30 बजे भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी. कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रांताध्यक्ष काशीपुरी कुंदन करेंगे. समाज के प्रेरणास्त्रोत श्रद्धेय महंतगण, माननीय संस्थापकद्वय रमन गिरि, ओंकार पुरी, संरक्षकद्वय उमेश भारती गोस्वामी एवं अशोक गिरि विशिष्ट अतिथि होंगे.
मंचीय कार्यक्रम में भगवान दत्तात्रेय दर्शन पर आधारित व्याख्यान होंगे. सम्मेलन में विवाह योग्य युवक- युवतियों का परिचय सम्मेलन, समाज की विशिष्ट प्रतिभाओं, जनप्रतिनिधियों एवं प्रेरणास्त्रोत बुजुर्गों का सम्मान, सनातन संस्कृति पर आधारित सामान्य ज्ञान क्विज सहित विविध कार्यक्रम होगा. उमेश गिरी, प्रशांत गिरि, पोखराज बन, रामकुमार पुरी सहित अन्य कार्यक्रम की तैयारी में जुटे हुए हैं. दुर्ग के प्रतिनिधि भी आयोजन में शामिल होंगे.
जिले में 45 नर्सरी अब प्ले स्कूल में हो जाएंगे तब्दील
दुर्ग। जिले के 45 नर्सरी स्कूल अब प्ले स्कूल के रूप में तब्दील होंगे. इन स्कूलों को जिला शिक्षा विभाग से मान्यता लेना अनिवार्य किया गया है. स्कूल संचालन के तीन महीने के भीतर मान्यता के लिए आवेदन करना होगा.
छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग ने जिला शिक्षा अधिकारी को प्ले स्कूल एक्ट भेजा है. 3 साल से कम उम्र के बच्चे यहां दाखिला नहीं ले सकेंगे. इस उम्र के बच्चों का प्रवेश पर मनाही की गई है. राज्य में प्राइमरी से लेकर हायर सेकेंडरी तक के निजी स्कूलों को संचालन के लिए शिक्षा विभाग से मान्यता लेनी पड़ती है, लेकिन प्ले स्कूलों यानी नर्सरी के लिए कोई नियम नहीं है. हाईकोर्ट में इस मामले को लेकर जनहित याचिका लगाई गई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए एक्ट बनाने के लिए छग स्कूल शिक्षा विभाग को आदेशित किया गया है.
ट्विनसिटी में घरों में संचालित नर्सरी स्कूल : प्री-प्राइमरी स्कूल (प्ले स्कूल) को संचालित करने का नियम छत्तीसगढ़ प्रदेश में नहीं था. दुर्ग जिले में लोग अपने घरों तक में नर्सरी स्कूल संचालित कर रहे हैं. इसमें सबसे ज्यादा 95 प्रतिशत नर्सरी स्कूल टिवनिसटी में संचालित हैं. खासकर सेक्टर एरिया में और न ही खेल मैदान . गाइड लाइन जारी होने के ये स्कूल खूब फल-फूल रहे हैं. न हवादार कमरे हैं बाद कितने नर्सरी स्कूल गाइड लाइन में खरे उतरते हैं यह मान्यता के लिए आवेदन करने के बाद जांच से खुलासा होगा.
बच्चों के लिए हर क्लास : रूम हवादार होना चाहिए प्ले स्कूल के भवन को लेकर भी गाइड लाइन जारी किए गए हैं. जिसमें हर क्लास रूप हवादार होना चाहिए. बालक और बालिकाओं के लिए अलग-अलग शौचालय, बच्चों के लिए रेस्ट रूम, साफ पीने का पानी, सीसीटीवी कैमरे होने चाहिए. खेल क्षेत्र, अग्निशमन यंत्र, बाउंड्रीवाल, मेडिकल सुविधा, स्वच्छता की सुविधा जैसे साबुन, डस्टबीन, वाशबेसिन होना चाहिए. स्कूल का समय 3 से 4 घंटे का होगा.
पालक शिक्षक समिति में 75 प्रतिशत रहेंगे पालक : प्ले स्कूल संचालकों को अब पालक शिक्षक समिति का गठन करना होगा. इस समिति का गठन स्कूल शुरू होने के एक महीने के भीतर करना है. इसका कार्यकाल एक साल तक रहेगा. इस समिति में 75 प्रतिशत पालक और 25 प्रतिशत शिक्षक रहेंगे. अध्यक्ष का मनोनयन पालकों के बीच से ही किया जाएगा. समिति की त्रैमासिक मीटिंग करनी है.
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