Pearl Farming News: मोतियों की कीमत और पहचान महिलाओं से बेहतर कौन जान सकता है. मोतियों की डिमांड देश से विदेश तक है. मोतियों से बने गहनों की ओर महिलाएं हमेशा से आकर्षित रही हैं. मोती समुद्र से निकाला जाता है, लेकिन रांची की एक महिला अपने घर के तालाब में मोती की खेती कर रही है. यह काम रांची की संजू देवी ने किया है. इसके जरिए उन्हें अपनी नई पहचान और कमाई का नया जरिया मिला है.
संजू देवी के इस कदम (Pearl Farming News) से अन्य महिलाएं भी काफी प्रभावित हैं. संजू देवी (Pearl Farming News) से कुछ सीखना चाहती हैं. देवी उन पलों को याद करती हैं जब उन्हें एक छोटी मोती की अंगूठी लेने के लिए बड़े-बड़े शोरूम जाना पड़ता था और हजारों में चल रही कीमत सुननी पड़ती थी.
संजू देवी महिला सशक्तिकरण की मिसाल बन रही हैं. झारखंड की राजधानी रांची के निवासियों के बीच उनकी एक अलग पहचान बन गई है और वह कई महिलाओं को अपने साथ जोड़ने का प्रयास कर रही हैं.
आपको बता दें कि कई मैनेजमेंट एजेंसियां पहले मोती की खेती, मोती कैसे बनते हैं, इसकी ट्रेनिंग देती हैं. इसके बाद वे मोती भी खरीदते हैं. इसमें 50 हजार की लागत के बाद 3 लाख रुपए तक की कमाई की जा सकती है. बता दें कि इसमें 12 से 14 महीने का समय लगता है.
मोती की खेती कैसे की जाती है ?
सीप की सहायता से मोती का उत्पादन किया जा सकता है. इसके लिए उन्हें 500 वर्ग फुट का तालाब या टैंक चुनना चाहिए. सबसे पहले सीपों को घर में बने एक छोटे से तालाब में 10 दिनों के लिए छोड़ दिया जाता है ताकि उन्हें पर्यावरण के अनुकूल बनाया जा सके. सर्जरी के बाद इनमें न्यूक्लियस डाले जाते हैं और तीन दिनों तक एंटीबॉडीज में रखा जाता है, जिसके बाद सभी सीपों को 12-13 महीनों के लिए तालाब में छोड़ दिया जाता है. सीप से मोती निकालने के काम में तीन गुना तक का मुनाफा होता है.
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